इस वर्ष 28 जुलाई तक लोकायुक्त पुलिस 15 मामले ट्रैप कर चुकी है। वर्ष 2021 में 12 मामले सामने आए थे। अधिकारियों का कहना है कि पटवारी व पुलिसकर्मी तो हर बार पकड़े जाते हैं, लेकिन रिश्वतखोर डॉक्टरों का मामला पहली बार सामने आया है। डीएसपी प्रवीणसिंह बघेल के मुताबिक, ढाई महीने में तीन डॉक्टरों को पकड़ा है।
स्थानांतरण से लेकर डिलीवरी करवाने के लिए मांगी रिश्वत डॉक्टरों ने स्थानांतरण कराने के लिए अपने विभाग के कर्मचारी से रिश्वत मांगी तो डिलीवरी कराने में भी हाथ फैलाए। 9 मई को मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी खंडवा डॉ. डीएस चौहान को स्टाफ नर्स से स्थानांतरण के लिए 40 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। 15 जून को खरगोन जिले के झिरन्या में बीएमओ डॉ. दीपक जायसवाल ने क्लिनिक चलाने के एवज में निजी डॉक्टर से रिश्वत मांगी। लोकायुक्त एसपी सव्यसाची सर्राफ को हुई शिकायत के बाद 4 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। एक जुलाई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरदारपुर में डिलीवरी कराने के एवज में मेडिकल ऑफिसर डॉ. संगीता पाटीदार व उनकी निजी सहायिका को 6 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा। सभी मामलों में विभागीय कार्रवाई के लिए भी लिखा गया है।
साल की शुरुआत पुलिस से, अब तक तीन लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष 2022 का पहला मामला झाबुआ में पुलिस विभाग पर दर्ज किया। 5 जनवरी को झाबुआ के एएसआइ नीरज को रिश्वत लेते पकड़ा। 26 जुलाई को एमआइजी थाने के सिपाही श्याम व नीरेंद्र को रिश्वत लेने के मामले में आरोपी बनाया। एसआइ राम साक्य की भूमिका की जांच की जा रही है।
तीन पटवारी आए जद मेंइस साल तीन रिश्वतखोर पटवारी पकड़े जा चुके हैं। 10 जनवरी को सरपंच कमल चौधरी की शिकायत पर ग्राम दर्जी कराडि़या, सांवेर के पटवारी सुबोध सुमेले को नक्शा बटांकन के नाम पर 40 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। 25 मार्च को पटवारी चंद्रमोहन गर्ग ग्राम खुरदी, मानपुर को जमीन बंटवारा पावती बनाने के एवज में 15 हजार रुपए लेते ट्रैप किया। 27 जुलाई को हातोद के पटवारी दीपक मिश्रा को 8 हजार की रिश्वत लेते दबोचा।
इन विभागों के कर्मचारी भी आए शिकंजे में जनपद पंचायत के दो, नगर निगम, दुग्ध डेयरी, ग्रामीण यांत्रिकी, शिक्षा विभाग व बिजली कंपनी के एक-एक कर्मचारी को भी ट्रैप किया गया।