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इंदौर

महेंद्र सिहं धोनी जैसी है नुजहत परवीन की कहानी, पढ़िए रोचक किस्से

मैं फुटबॉल खेलना चाहती थी, लेकिन मुझे लगा कि फुटबॉल में स्कोप नहीं है। आज इतने साल बाद भी मैं यही महसूस करती हूं।

इंदौरAug 05, 2017 / 01:54 pm

amit mandloi

nujhat parveen

नुजहत

इंदौर. लोग कहते हैं कि मेरी कहानी धोनी सर जैसी है। वे भी बचपन में फुटबॉल प्लेयर थे और मैंने भी फुटबॉल से ही शुरुआत की थी १४ साल की उम्र में पहली बार अपने होम टाउन सिंगरौली में डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट खेला। इसके बाद से ही मेरा इंटरेस्ट किक्रेट में शिफ्ट हो गया और मैंं मध्यप्रदेश किक्रेट एसोसिएशन से जुड़ गई। मैं फुटबॉल खेलना चाहती थी, लेकिन मुझे लगा कि फुटबॉल में स्कोप नहीं है। आज इतने साल बाद भी मैं यही महसूस करती हूं। ये कहना है इंडियन वुमन किक्रेट टीम की प्लेयर नुजहत मसीह परवीन का। होटल रेडिसन में शुक्रवार को कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री द्वारा आयोजित कार्यक्रम बायर-सेलर मीट में उन्होनें शिरकत की।
सिंगरौली कहां है बताना नहीं पड़ता

जब भी मैं कहीं बाहर जाती तो मेरे होम टाउन का नाम आते ही सवाल होते थे कि ये कहां है। आज मुझे खुशी है कि मुझसे मेरे टाउन को पहचाना जाता है और किसी को बताने की जरूरत नहीं होती कि मैं कहां से हूं। आज पूरे देश में सिंगरौली को पहचान मिल चुकी है। नुजहत बताती हैं कि सिंगरौली जैसे छोटे टाउन में लड़कियां क्रिकेट नहीं खेलती थी। ऐसे में सबसे बड़ी परेशानी होती थी प्रैक्टिस करने की। मैंने ग्राउंड में हमेशा लड़कों के साथ प्रैक्टिस की। मैं टॉपर थी तो लोग कहते थे कि लड़की पढ़ाई में अच्छी है तो खेल में क्यों टाइम बर्बाद क र रहे हो। मेरे पापा ने सोसायटी की नहीं सुनी और मुझे समझा। वे बताती हैं कि फाइनल की हार से सबकी आंखें नम थी। मेरा ड्रीम है कि हम वल्र्ड कप जीत कर लाएं ताकि नम आंखों को मुस्कुराहट में बदला जा सके।
नुजहत ने बताया सभी खिलाड़ी चाहती थीं कि मिताली और झूलन को ट्रॉफी उठाते देखें। हमारी पीढ़ी की खिलाड़ी किस्मत वाली हैं कि सभी सुविधाएं हैं, लेकिन जब मैेंने शुरू किया था तब कुछ नहीं था।
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