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Social work : खुशियां बांटने में खर्च किए तीन करोड़ रुपए, संवारे स्कूल, 16 बच्चों के कराए बौनमेरो ट्रांसप्लांट

locationइंदौरPublished: Aug 28, 2019 12:59:22 pm

कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी : एयरपोर्ट प्रबंधन ने सामाजिक बीड़ा उठाते हुए दिल खोलकर खर्च किए करोड़ों रुपए

Social work : खुशियां बांटने में खर्च किए तीन करोड़ रुपए, संवारे स्कूल, 16 बच्चों के कराए बौनमेरो ट्रांसप्लांट

Social work : खुशियां बांटने में खर्च किए तीन करोड़ रुपए, संवारे स्कूल, 16 बच्चों के कराए बौनमेरो ट्रांसप्लांट

indore news : दुबई की उड़ान शुरू होने से इंदौर का देवी अहिल्याबाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया के नक्शे पर शामिल होने के साथ ही साथ जमीन से जुडक़र जरूरतमंदों की मदद के लिए भी हाथ बढ़ाया है। नामी कॉरपोरेट घरानों की तर्ज पर एयरपोर्ट प्रबंधन ने सामाजिक बीड़ा उठाते हुए दिल खोलकर करोड़ों रुपए खर्च किए। इस राशि से कैंसर से जूझ रहे मासूमों का इलाज कर उनकी जान बचाई। गांवों के बदहाल स्कूलों की सूरत संवारते हुए वहां शिक्षा का उजियारा फैलाने का भी सफल प्रयास किया।
Social work : खुशियां बांटने में खर्च किए तीन करोड़ रुपए, संवारे स्कूल, 16 बच्चों के कराए बौनमेरो ट्रांसप्लांट
इंदौर एयरपोर्ट ने पहली बार 2017 में सीएसआर के लिए कदम बढ़ाया। इसके तहत अब तक तीन करोड़ रुपए से ज्यादा के काम किए जा चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी उपलब्धि निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के कैंसर और अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे 3 से 17 साल के मासूमों की जान बचाने के लिए आगे आना रही। एयरपोर्ट प्रबंधन ने एमवाय अस्पताल में इन बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराया। करीब डेढ़ साल में 16 बच्चों के बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए सीएसआर में 90 लाख रुपए का बजट रखा गया था।
Social work : खुशियां बांटने में खर्च किए तीन करोड़ रुपए, संवारे स्कूल, 16 बच्चों के कराए बौनमेरो ट्रांसप्लांट
इस साल के लिए भी एयरपोर्ट प्रबंधन ने 70 लाख रुपए सिर्फ बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए खर्च करने की योजना बनाई है। इसका लाभ उन परिवारों को मिलेगा, जिनकी वार्षिक आय साढ़े तीन लाख रुपए से कम है। एयरपोर्ट डायरेक्टर आर्यमा सान्याल के मुताबिक समाज को कुछ न कुछ लौटाना हम सबकी जिम्मेदारी है। सबसे बड़ी खुशी इलाज के बाद बच्चों और उन माता-पिता को देखकर होती है, जो बीमारी से हारकर जीने की उम्मीद छोड़ चुके थे। ग्रामीण गर्भवती महिलाओं को समय रहते अच्छे अस्पताल में इलाज मिल सके, इसलिए सवा करोड़ रुपए की एंबुलेंस भी स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई है।
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एयरपोर्ट प्रबंधन ने 17 गांव के 17 बदहाल स्कूलों के सुधार का भी बीड़ा उठाया। शिक्षा विभाग से ही इन स्कूलों की जानकारी ली गई। कई स्कूल में छात्र-छात्राओं के लिए टॉयलेट नहीं थे। ऐसे में गांव की लड़कियां पढऩे नहीं आती। प्रबंधन ने इन स्कूलों में लडक़े और लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट बनवाने के साथ ही उसका मरम्मत भी करवाई। स्कूलों में 15 लाख रुपए की लागत के डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम भी बनवाए गए। सान्याल का कहना है, स्कूलों से लगातार संपर्क में रहने पर पता चला कि यहां बिजली बार-बार जाने से पढ़ाई में परेशानी आती है। बच्चों की पढ़ाई अच्छे से हो, इसलिए अब इन स्कूलों में सोलर प्लांट लगाए जाएंगे।
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