फिर लौट रहा दौर... वाटर कलर्स से चित्रों में ‘जान’ डाल रहे शहर के यंग आर्टिस्ट्स
शहर के कला परिदृश्य में नया ट्रेंड नजर आ रहा है। शहर के कुछ यंग आर्टिस्ट वाटर कलर्स में काम कर रहे हैं, जबकि कई वर्षों से ये उपेक्षित रहे हैं।

इंदौर. अकसर फाइन आर्ट की पढ़ाई के दौरान वाटर कलर्स का काम सीखने के बाद अधिकांश कलाकार एक्रेलिक और ऑइल कलर्स की ओर रुख कर लेते हैं। दरअसल वाटर कलर्स को टफ मीडियम माना जाता है, इसके बावजूद कुछ यंग आर्टिस्ट इसे अपना रहे हैं।
संगीत की तरह चाहिए रियाज
यंग आर्टिस्ट और फाइन आर्ट के स्टूडेंट अनोज कुमार की पेंटिंग्स इंटरनेशनल वाटर कलर सोसायटी द्वारा आयोजित वाटर कलर फिनाले में भी प्रदर्शित हो चुकी हैं। वे कहते हैं कि उन्हें वाटर कलर्स की फ्रेशनेस लुभाती है। इसमें गलती को सुधारा नहीं जा सकता, इसलिए इसे साधने के लिए संगीत की तरह रोज रियाज करना पड़ती है। मुझे लाइव लैंडस्कैप करना पसंद है। डिफिकल्ट मीडियम होने से रोज काम कर कुछ नया सीखता हूं।
अग्नि परीक्षा हैं जलरंग
वर्षों से जलरंगों में काम करने वाले वरिष्ठ चित्रकार और साहित्यकार प्रभु जोशी कहते हैं कि इसमें कलाकार की अग्नि परीक्षा होती है, क्योंकि एक बार गलती हो गई तो पूरी पेंटिंग खारिज करना होती है। जलरंग में कलाकारों की कमी पर उन्होंने कहा कि राजा रवि वर्मा के समय से प्रारंभ में तो जलरंग ही होते थे, पर बाजार और तकनीक आने से कला डेकोरेटिव हो गई। शॉर्टकट अपनाने से जलरंग पीछे रहे गए, लेकिन ये अभी भी तमाम तकनीक के लिए चुनौती हैं।

टूथ ब्रश से पहले उठाता हूं पेंटिंग ब्रश
साहिल लहरी ने वाटर कलर्स में लैंडस्कैप्स के साथ-साथ पोर्टे्रट्स में भी महारत हासिल की है। उनका कहना है कि इसके लिए बहुत ज्यादा प्रैक्टिस और पैशंस चाहिए। मैं रोज १० से १२ घंटे पेंटिंग करता हूं, यहां तक कि सुबह उठकर टूथ ब्रश से पहले पेंटिंग ब्रश उठाता हूं। अब वाटर कलर्स के लिए मार्केट में कई तरह की शीट्स अवलेबल हैं। शीट जितनी अच्छी होगी पेंटिंग भी उतनी अच्छी बनेगी। अच्छी प्रैक्टिस के बाद फ्लो आ जाता है तो काम जल्दी होता है, क्योंकि जल रंग जल्दी सूखते हैं।
एक्साइट करते हैं वाटर कलर्स
फाइन आर्ट की स्टूडेंट स्वर्णिमा रिछारिया का कहना है कि वाटर कलर्स जल्दी सूखने के कारण इसमें जल्दी काम करना होता है, जिसका एक्साइटमेंट अलग ही होता है। हालांकि वाटर कलर्स को हैंडल करना मुश्किल होता है। इसमें बहुत पैशंस चाहिए। कई शीट खराब होती हैं तब जाकर सही काम होता है। स्वर्णिमा की क्लासमेट सलोनी बाकलीवाल भी वाटर कलर्स में काम रही हैं। वह कहती हैं कि ये टफ जरूर है पर इसी में काम करना चाहती हूं।
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