वहीं रतलाम, छतरपुर, दमोह, उज्जैन और हरदा इस मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं। इस रैंकिंग के लिए पुलिस प्रशासन, महिला बाल विकास विभाग और नगर निगम के संयुक्त प्रयासों को शामिल किया गया है। रैकिंग के अनुसार पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद महिला अपराध कम होने का दावा किया जा रहा है। ये आंकड़े शनिवार को कलेक्टर कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के दौरान भोपाल से जारी किए गए थे।
छेड़छाड़ में सबसे अधिक 41 प्रतिशत की कमी
महिला अपराधों में छेड़छाड़, बलात्कार और अपहरण को प्रमुख माना जाता है। साल 2021 के शुरुआती तीन महीने की तुलना 2022 के शुरुआती तीन महीनों से की गई है। बलात्कार के मामले में 16.13 प्रतिशत, अपहरण में 13.61 और छेड़छाड़ के मामलों में 41.21 की कमी आई है। स्कूल, कॉलेजों, कोचिंग संस्थानों व भीड़ भरी जगहों पर जागरूकता अभियान और पुलिस की आकास्मिक धरपकड़ से छेड़छाड़ में कमी आई है।
पुलिस कमिश्नरी से अपराध हुए कम
राजेश हिंगणकर, एडिशनल पुलिस कमिश्नर का कहना है कि पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद निश्चित तौर पर महिला अपराधों में कमी आ रही है। बीते साल की तुलना में बलात्कार, अपहरण कम हुए हैं। छेड़छाड़ की घटनाओं में ज्यादा कमी आई है जो कि अच्छे रकित हैं। हमारे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। प्रयासों को 100 प्रतिशत और घटनाओं को जीरो करना हमारा लक्ष्य है।
बच्चों को वापस परिवार से मिलाकर मुस्कान लाने में इंदौर प्रथम
वहीं इंदौर जिला गायब बच्चों को वापस परिवार से मिलाने के ऑपरेशन मुस्कान में प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा। मिलाटवटखोरों पर कार्रवाई व चिटफंड कंपनियों को लेकर अच्छी कार्रवाई करने में भी जिला अव्वल रहा। हालांकि माफिया के खिलाफ कार्रवाई में शहर तीसरे स्थान पर आ गया। इसमें भोपाल नंबर एक रहा, वहाँ 251 प्रकरण दर्ज हुए। खरगोन में 135 व इंदौर में 131 केस रहे।
ऑपरेशन मुस्कान
नाबालिगों के लापता होने के मामले में पुलिस अपहरण का केस दर्ज करती है। इसमें बालिकाओं का प्रतिशत ज्यादा रहता है। इन्हें बरामद कर पालकों से मिलाने में इंदौर आगे रहा। जनवरी से मार्च तक 134 नाबालिगों को खोजा गया। दूसरे नंबर पर रीवा रहा।