प्रोजेक्ट के लिए जो राष्ट्रीय स्तर पर टीम बनाई गई है, उसमें इंदौर के इंजीनियर प्रदीप अहिरकर का भी चयन किया है।
इंदौर. देश में बुलेट ट्रेन को लाने का सपना साकार कब होगा, इसकी समय सीमा तो नहीं बता सकते, लेकिन गुरुवार को इसके लिए ट्रैक निर्माण के प्रारंभिक कार्यों का श्रीगणेश होने जा रहा है। जापान के साथ मिलकर इस महात्वाकांक्षी योजना को अंजाम दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट के लिए जो राष्ट्रीय स्तर पर टीम बनाई गई है, उसमें इंदौर के इंजीनियर प्रदीप अहिरकर का भी चयन किया है। भारतीय इंजीनियरिंग सर्विस से रेलवे की नौकरी में पहुंचे अहिरकर नेशनल हाई स्पीड ट्रेन कॉरपोरेशन में मुख्य परियोजना अधिकारी बनाए गए हैं। उनका मुख्यालय बड़ौदा रहेगा।
अहिरकर इंदौर के सरकारी स्कूल बाल विनय मंदिर में पढ़े हैं। यहां से हायर सेकंडरी के बाद उन्होंने सजीएसआईटीएस में सिविल इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया, १९९१ में बीई की परीक्षा पास की। इसके मास्टर डिग्री ली और १९९७ में इंजीनियरिंग सर्विसेस से केंद्र सरकार की नौकरी में गए। रेलवे में नियुक्ति के बाद वे बड़ोदरा मंडल पर वरिष्ठ इंजीनियरिंग (संयोजन) के पद पर रह चुके हैं। प्रोजेक्ट में इन्हें निर्माण एजेंसी के साथ समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। जिसमें ट्रैक निर्माण और इसके लिए जमीन अधिग्रहण जैसे कार्य महत्वपूर्ण है। पिता बाबूराव अहिरकर व मां दोनों
सरकारी नौकरी में रहे। अहिरकर के बड़े भाई संजय अहिरकर डॉक्टर हैं।
इंदौर में पहले मेट्रो अहिरकर रेलवे में काफी दिनों से प्रोजेक्ट आकलन का काम देख रहे हैं। हाई स्पीड ट्रेन की तकनीकी बारीकियों के जानकार भी हंै। इंदौर में बुलेट कब तक आएगी इस बारे में उनका कहना है, इंदौर को पहले मेट्रो की जरूरत है। हाई स्पीड के क्षेत्र में हमारा पहला प्रयास है। वास्तव में स्पीड के साथ पैंसेजर भी होने चाहिए। इंदौर के ट्रैफिक के हिसाब से अभी यहां मेट्रो के लिए प्रयास होना चाहिए।
नॉन स्टॉप बुलेट से २ घंटे ५ मिनट में मुंबई से अहमदाबाद पहुंच जाएंगे।देश में हाई स्पीड ट्रेन का यह पहला प्रोजेक्ट है। १.१ लाख करोड़ के प्रोजेक्ट निर्माण के लिए जापान कम ब्याज दरों पर लोन देगा।मुबंई से अहमदाबाद की दूरी ५०८ किमी है। बुलेट ट्रेन यह दूरी २.०५ घंटे में तय कर सकेगी। स्टॉपेज रहेंगे तो २.४० घंटे लगेंगे।ट्रेन मेग्मा टेक्नोलॉजी की नहीं है। यह एलीवेटेड पटरी पर चलेगी। ४८५ किमी का ट्रैक एलिवेटेड रहेगा। क्योंकि ट्रेन की गति काफी रहेगी, इसलिए जमीन का यातायात प्रभावित नहीं हो। ७ किलोमीटर समुद्र में, १६ किलोमीटर का ट्रैक अंडर ग्राउंड रहेगा। पूरे रूट पर ११ स्टेशन बनाए जाएंगे।