रेयान स्कूल की घटना के बाद हरकत में आई स्थानीय पुलिस ने शहर के प्रमुख स्कूलों में व्यवस्थाएं देखीं। सभी जगह पर कोई ना कोई कमी मिली। सबसे अहम बात स्कूली कर्मचारियों का वैरीफिकेशन नहीं होना थी। कुछ दिनों की जांच के बाद पुलिस का यह अभियान बंद हो गया। बताया गया, स्कूलों को खुद अपने कर्मचारियों की जांच करवाने की अनिवार्यता को लेकर पुलिस ने प्रशासन को धारा १४४ लागू करने का प्रस्ताव भी भेजा। इसमें स्कूल प्रबंधन को आदेश के ४५ दिन में अपने कर्मचारियों की जानकारी स्थानीय थाने पर जमा करवाना था, ताकि पुलिस इनके चरित्र व आपराधिक रिकॉर्ड की जांच कर सके। कर्मचारी बदलने पर उनकी जानकारी देकर वैरीफिकेशन करवाया था। पुलिस का तर्क है, लापरवाही मिलने पर स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय नहीं होने से उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। फिलहाल यह प्रस्ताव प्रशासन के पास अनुमति के इंतजार में अटका हुआ है।
लाइसेंस होगा निरस्त
आरोटीओ एमपी सिंह ने कहा, स्कूल प्रबंधन को उक्त सूची तय समय में विभाग तक पहुंचाना होगी। इसमें लापरवाही बरतने या पुलिस वैरिफिकेशन में किसी भी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आने पर संबंधित ऑटो चालक का लाइसेंस व वाहन परमिट तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाएगा।
आरोटीओ एमपी सिंह ने कहा, स्कूल प्रबंधन को उक्त सूची तय समय में विभाग तक पहुंचाना होगी। इसमें लापरवाही बरतने या पुलिस वैरिफिकेशन में किसी भी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आने पर संबंधित ऑटो चालक का लाइसेंस व वाहन परमिट तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाएगा।
प्रशासन के आदेश पर करेंगे कार्रवाई
प्रशासन से धारा १४४ का आदेश जारी होने पर स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय होगी। इसके बाद जांच में अगर किसी स्कूल प्रबंधन की लापरवाही मिलती है, कार्रवाई कर सकते हंै। अभी प्रशासन से अनुमति नहीं मिल पाई है। कई रिमांडर भी दे चुके है, पर कोई जबाव नहीं मिला है। पुलिस जल्द बैठक बुलाकर वैरिफिकेशन के लिए कहेगी।
प्रशांत चौबे, एएसपी, ट्रैफिक
प्रशासन से धारा १४४ का आदेश जारी होने पर स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय होगी। इसके बाद जांच में अगर किसी स्कूल प्रबंधन की लापरवाही मिलती है, कार्रवाई कर सकते हंै। अभी प्रशासन से अनुमति नहीं मिल पाई है। कई रिमांडर भी दे चुके है, पर कोई जबाव नहीं मिला है। पुलिस जल्द बैठक बुलाकर वैरिफिकेशन के लिए कहेगी।
प्रशांत चौबे, एएसपी, ट्रैफिक
जागरूकता एप से करेंगे निगरानी
स्कूलों को लेकर लगातार शिकायतों को देखते हुए प्रशासन अलग से गाइड लाइन या आदेश जारी करने की बजाए एक एप बना रहा है। इसमें सुरक्षा के मुद्दे पर पुलिस के साथ सहयोग लेकर आवश्यकतानुसार प्रक्रियाओं को शामिल किया जा रहा है।
– निशांत वरवड़े, कलेक्टर
स्कूलों को लेकर लगातार शिकायतों को देखते हुए प्रशासन अलग से गाइड लाइन या आदेश जारी करने की बजाए एक एप बना रहा है। इसमें सुरक्षा के मुद्दे पर पुलिस के साथ सहयोग लेकर आवश्यकतानुसार प्रक्रियाओं को शामिल किया जा रहा है।
– निशांत वरवड़े, कलेक्टर
इन बिंदुओं पर करना थी जांच
– स्कूल परिसर में कहां व कितने सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है।
– स्कूल में बाउंड्रीवॉल की स्थिति क्या है।
– छात्राओं के बाथरूम अलग हो और कर्मचारियों के परिसर के बाहर रहें।
– कर्मचारियों की पहुंच छात्र-छात्राओं के बाथरूम तक ना हो।
ये है नियमों की हालत
नियम : बस ड्राइवर-कंडक्टर का पुलिस वैरिफिकेशन जरूरी। आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को नौकरी पर नहीं रखा जाए।
स्थिति : अब तक सभी स्कूलों में वैरीफिकेशन नहीं हो पाया है।
नियम : स्कूल बसों की स्पीड कंट्रोल में करने के लिए सभी बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाएं।
स्थिति : पुलिस व आरटीओ की तमाम मुहिम के बाद भी अब तक बसों में स्पीड गर्वनर नहीं लग सके। स्कूल संचालकों का रवैया सुस्त ही है।
नियम : स्कूल बसों में महिला अटेंडर की नियुक्ति हर हाल में की जाए।
स्थिति : अब तक नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। अधिकतर बसों में महिला अटेंडर नहीं हैं।
नियम : सीबीएसई ने जारी की है, नो-टच की गाइडलाइन।
स्थिति : अधिकतकर बसों में ड्राइवर व कंडक्टर ही बच्चियों को उतारते हैं।
नियम : स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम व कैमरे लगाए जाएं।
स्थिति : न सिस्टम लगे और नहीं सीसीटीवी कैमरे। कुछ में कैमरे हैं, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में बंद ही रहते हैं।
नियम : स्कूल बसों की रश ड्राइविंग व ओवर स्पीड पर रोक।
स्थिति : उल्लंघन करने पर ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ की कार्रवाई का हिसाब तक स्कूल प्रबंधन नहीं रखते। जो ड्राइवर लगातार नियम तोड़ते हैं, उस पर कार्रवाई तक नहीं होती।
नियम : स्कूल शुरू होने के पूर्व व छुट्टी के बाद स्टाफ को एक-एक क्लास और टॉयलेट्स की जांच करना चाहिए।
स्थिति : अधिकतर स्कूलों में पालन नहीं होता। क्लासेस में तो स्टाफ राउंड लगाता है, लेकिन टॉयलेट्स पर ध्यान नहीं दिया जाता।
– स्कूल परिसर में कहां व कितने सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है।
– स्कूल में बाउंड्रीवॉल की स्थिति क्या है।
– छात्राओं के बाथरूम अलग हो और कर्मचारियों के परिसर के बाहर रहें।
– कर्मचारियों की पहुंच छात्र-छात्राओं के बाथरूम तक ना हो।
ये है नियमों की हालत
नियम : बस ड्राइवर-कंडक्टर का पुलिस वैरिफिकेशन जरूरी। आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को नौकरी पर नहीं रखा जाए।
स्थिति : अब तक सभी स्कूलों में वैरीफिकेशन नहीं हो पाया है।
नियम : स्कूल बसों की स्पीड कंट्रोल में करने के लिए सभी बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाएं।
स्थिति : पुलिस व आरटीओ की तमाम मुहिम के बाद भी अब तक बसों में स्पीड गर्वनर नहीं लग सके। स्कूल संचालकों का रवैया सुस्त ही है।
नियम : स्कूल बसों में महिला अटेंडर की नियुक्ति हर हाल में की जाए।
स्थिति : अब तक नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। अधिकतर बसों में महिला अटेंडर नहीं हैं।
नियम : सीबीएसई ने जारी की है, नो-टच की गाइडलाइन।
स्थिति : अधिकतकर बसों में ड्राइवर व कंडक्टर ही बच्चियों को उतारते हैं।
नियम : स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम व कैमरे लगाए जाएं।
स्थिति : न सिस्टम लगे और नहीं सीसीटीवी कैमरे। कुछ में कैमरे हैं, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में बंद ही रहते हैं।
नियम : स्कूल बसों की रश ड्राइविंग व ओवर स्पीड पर रोक।
स्थिति : उल्लंघन करने पर ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ की कार्रवाई का हिसाब तक स्कूल प्रबंधन नहीं रखते। जो ड्राइवर लगातार नियम तोड़ते हैं, उस पर कार्रवाई तक नहीं होती।
नियम : स्कूल शुरू होने के पूर्व व छुट्टी के बाद स्टाफ को एक-एक क्लास और टॉयलेट्स की जांच करना चाहिए।
स्थिति : अधिकतर स्कूलों में पालन नहीं होता। क्लासेस में तो स्टाफ राउंड लगाता है, लेकिन टॉयलेट्स पर ध्यान नहीं दिया जाता।