कनाडिय़ा पुलिस ने केंद्रीय अधिकारी सहकारी संस्था के सदस्य जगत किशोर ठोंबरे की शिकायत पर संस्था अध्यक्ष धनश्याम परमार, उपाध्यक्ष श्रीनाथ पांडे, कोषाध्यक्ष प्रहलाद दास जाखोटिया, बाबी छाबड़ा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इस मामले में शनिवार को छह दिन के रिमांड पर लिया गया। थाने की लॉक अप में पूरे समय बाबी असहज रहता है। थोड़ी-थोड़ी देर में पूजा-पाठ करता तो कभी ध्यान करने बैठ जाता। पुलिस अफसर पूछताछ के लिए बुलाते तो फिर वापस जाने पर च²र ओढकऱ सो जाता है। पुलिसकर्मी पूरे समय उस पर ध्यान रखते वही टीआई आरडी कानवा भी सीसीटीवी कैमरे के जरिए उस पर नजर रखते।
इस संस्था को रजिस्टे्रशन 1979 में होने के बाद सदस्य बनाने का काम शुरु हुआ। इसमें 105 सदस्य बनाए गए जिनसे प्लाट के लिए 35 हजार रुपए जमा कराए। संस्था ने 18 एकड़ जमीन भेरुलाल पाटीदार से खरीदी। वर्ष 1995 में इसमें से 10 एकड़ जमीन नवयुग सहकारी संस्था को यह बतातें हुए बेच दी कि काफी सदस्य प्लाट नहीं लेना चाहते। उन्हें पैसा वापस लौटाना है। इस जमीन का सौदा 40 लाख रुपए में कर 49 सदस्यों को पैसा लौटाना बताया गया। वर्ष 2007 में संस्था का अध्यक्ष जंयतीलाल जैन बने। इसके बाद शिकायत होने लगी तो वर्ष 2011 में सुरेंद्र जैन को प्रशासक नियुक्त किया गया। 27 फरवरी 2019 में हुए चुनाव में सन्नी उर्फ जगदीश लश्करी अध्यक्ष और नरिंदर कौर उपाध्यक्ष बनी।
बायपास बनने के बाद शुरु हुई गड़बड़ संस्था की जमीन से बायपास का काम शुरु होने के बाद भाव काफी बढ़ गए। बायपास के चलते जमीन का भाव कई गुना बढ़ गया। इसी के बाद तात्कालीन पदाधिकारियों ने गड़बड़ी शुरु की। संस्था में प्रशासक नियुक्त होने के बाद बाबी छाबड़ा का ध्यान इस तरह गया। उसने पदाधिकारियों के साथ मिलकर अपने लोगो को सदस्य बनाना शुरु किया। इसके बाद वर्ष 2019 में हुए चुनाव में अपने लोगो को पदाधिकारी बनाया। हाल ही के चुनाव में उपाध्यक्ष बनी नरिंदर कौर को तो पता ही नहीं था कि वह पदाधिकारी बन चुकी है। केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने उनके बयान लिए तो वे भी चौंक गए। संस्था का अध्यक्ष सन्नी उर्फ जगदीश अभी गायब है।
अफसर को नोटिस दिया टीआई आरडी कानवा ने बताया संस्था सदस्य ठोंबरे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सहकारिता उपायुक्त के पाठनकर के घर पर बाबी छाबड़ा ने बैठक की थी। इस पर पुलिस ने पाठनकर को नोटिस जारी कर जबाव मांगा। पाठनकर ने अपने जबाव में ठोंबरे को पहचानने से इनकार करते हुए घर पर बैठक से भी मना कर दिया। पुलिस मामले में प्रशासक सुरेंद्र जैन, संस्था के ऑडिट करने वाले अधिकारियों के भी बयान लेंगी। संस्था का आखिरी ऑडिट 2012 में हुआ। समय पर ऑडिट नहीं होने के कारण ही सारी गड़बड़ी चलती रही। पुलिस ने सहकारिता विभाग से जानकारी मांगी थी कि संस्था में कौन पदाधिकारी रहा, कितने सदस्य जोड़े गए, कितनो के नाम हटाए गए। इसमें सहकारिता विभाग ने गोलमोल जबाव पुलिस को दिए।