एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र ने बताया क्राइम ब्रांच की टीम ने मनोज दास (20), सतीश दास निवासी जाजपुर, उङीसा को सांवेर रोड बायपास से पकड़ा। इनके पास से पांच लाख रुपए के जेवर बरामद हुए। शहर में हुई चोरी व लूट की वारदात में उड़ीसा के बदमाशो की भूमिका आई। दो सप्ताह तक उड़ीसा में पुलिस टीम इनकी पहचान के लिए घूमती रही। पता चला कि ये लोग वारदात के लिए सांवेर गए है। इस पर टीम ने घेराबंदी कर पकड़ा। आरोपियों ने अपने साथियों व इसी तरह से सक्रिय कई गिरोह की जानकारी दी। इन्होंने मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में वारदात करना कबूला। इनके पास से कई फर्जी आईडी कार्ड मिले। वारदात के लिए फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किया जाता। फेरी लगाकर कपड़ा बेचने के बहाने ये लोग रैकी करते है। आरोपियों को रिमांड पर लेकर अन्य वारदातो में पूछताछ की जाएगी। साथ ही इनके साथियों की तलाश भी की जा रही है।
इन वारदातो का हुआ खुलासा आरोपियों ने जूनी इंदौर में स्टील व्यापारी की कार को पंचर कर 27 लाख रुपए का बैग चुरा लिया। किशनगंज में बिल्डर की कार का कांच फोडक़र बैग चुराया। इसमें 12 लाख रुपए रखे थे। सांवेर में ज्वेलरी दुकान के ताले में फेवीकोल डालकर व्यापारी को उलझाया। फिर उसका दस लाख रुपए की ज्वेलरी से भरे बैग को चुराकर भाग निकले। पीथमपुर व इंडोरामा में भी चोरी की वारदात कबूली है। धार में भी ज्वेलरी व्यापारी के यहां वारदात में शामिल आरोपियों की जानकारी इन्होंने पुलिस को दी है। आरोपियों के साथी पहले झांसी, बांदा, कानपुर, भरतपुर में पकड़े जा चुके है। अन्य राज्यों में भी इन पर कई केस दर्ज है।
रेसिंग बाइक का करते इस्तेमाल रेसिंग बाइक का इस्तेमाल चोरी व लूट के लिए करते। उड़ीसा से ट्रेन में बाइक को बुक कर उज्जैन लाते। यहां पर स्टेशन से बाइक लेकर उज्जैन में किराए से मकान लेकर रहते। यही से आसपास चोरी व लूट की वारदात के लिए जाते। आरोपियों ने अपने साथी एशू, एशाराव, राजू, बिज्जू व करन का नाम बताया है। गिरोह का सरगना बिज्जू है। वही सदस्यों के लिए टिकट बुक करना, फर्जी आईडी कार्ड बनाने का काम करता। इन आईडी से कमरा किराए पर लेते। किसी साथी के पकड़ाने पर उसे छुड़ाने व परिवार की आजीविका का ध्यान भी वही रखता। वारदात में मिला माल बिज्जू को ही सौंपा जाता। वही इसका बंटवारा करता। पूर्वाकोट ओडि़शा की कई गैंग देशभर में सक्रिय है। इनमें करीब २५० लोग शामिल है। एक बार ही ये मोबाइल का इस्तेमाल कर बंद कर देते। ज्वेलरी की दुकान खुलने से लेकर बंद होने तक रैकी करते। फिर ताले में लकड़ी का बुरादा व फैवीकोल डालकर वारदात को अंजाम देते।
इन वारदातो को देते अंजाम गिरोह द्वारा व्यापारी से लूट, ज्वेलरी शाप में चोरी, कांच फोडक़र बैग उड़ाने, बैंक में आने वाले लोगो से रुपए चुराना, सडक़ पर आपस में विवाद कर ध्यान बंटाकर कार से बैग की चोरी की वारदात की है। एक बार गैंग जिस शहर में आती वहां तीन चार महीने तक लगातार वारदात करते फिर भाग निकलते। जिस जगह पर वारदात को अंजाम नहीं दे पाते तो खर्चे निकालने के लिए चेन लूट करते।