नए नोट की हूबहू कापी तैयार कर ली लेकिन वाटरमार्क के चक्कर में पकड़ाए गए
क्राइम ब्रांच ने तीन लोगो को पकड़ा, बीस लाख रुपए कीमत के नकली नोट बरामद

इंदौर. नए नोटो को स्क्रीन प्रिटिंग की मदद से हूबहू तैयार कर चलाया जा रहा था। पुलिस ने जब गिरोह में शामिल तीन लोगो को पकड़ा तो उनके पास मिले नोट देखकर पहली बार तो वे खुद भी दंग रह गए। नोट की प्रिटिंग, कलर की तो हूबहू कापी कर ली गई लेकिन नोट के वाटरमार्क से उनकी गड़बड़ी पकड़ में आ गई।
आइजी विवेक शर्मा ने बताया कि क्राइम ब्रांच की टीम ने मानपुर फोरलेन रोड से फिरोज खान (38) निवासी राजपुर बड़वानी, अकरम मंसूरी (25), गोलू उर्फ शहजाद अली (35) निवासी ओझर नागलवाडी बड़वानी को पकड़ा। इनके पास बैग में दो हजार के 600 नोट, पांच सौ के 1325 नोट, दो सौ रुपए के 701 नोट सहित कुल बीस लाख रुपए कीमत के नकली नोट जब्त हुए। एएसपी क्राइम राजेश दंडोतिया व टीआई किशनगंज शशिकांत चौरसिया व टीम ने आरोपियों से पूछताछ शुरु की। फिरोज के परदेशीपुरा स्थित मकान पर छापा मारा गया। यहां से नकली नोट छापने के लिए इस्तेमाल होने वाला प्रिंटर, पेपर कटर, केमिकल, डिकोटिंग पेंट, स्हायी, हाइड्रोलिक जैक, कटिंग प्लाटर व अन्य सामग्री बरामद हुई। आरोपियों के खिलाफ किशनगंज पुलिस ने केस दर्ज किया है। तीनो आरोपियों को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर 24 मार्च तक रिमांड पर लिया।
आइजी शर्मा ने बताया कि नोट की स्याही, प्रिटिंग व कलर हूबहू असली नोट की तरह है। सामान्य व्यक्ति तो इसे देखकर पहचान ही नहीं सकता। नोट में वाटरमार्क व अन्य पहचान चिन्हों से पता चलता है कि ये नकली है। प्रिंटर के जरिए नोट का प्रिंट आउट निकाल उन्हें स्क्रीन प्रिटिंग की तरह फर्मे से छापे जाता। मशीन के जरिए नोटो की कटिंग कर उन्हें कम्प्रेस करते। सभी नोट पर अलग-अलग सीरियल नंबर डालते ताकि शंका ना हो। आरोपियो इनते नोट चलाने के लिए इंदौर आए थे। इतनी बड़ी राशि के नकली नोट मिलने से संभावना है कि करोड़ो रुपए कीमत के नकली नोट ये लोग अब तक खपा चुके है। रिमांड पर इनसे नोट बनाने से लेकर कहां-कहां पर इन्हें चलाया है उनकी जानकारी ली जा रही है। पता चला है कि काफी समय से ये लोग नकली नोट बनाने का काम कर रहे है। गिरोह को पकडऩे वाली पूरी टीम को आइजी ने 30 हजार रुपए का इनाम दिया है।
एक लाख असली पर देते तीन लाख
नकली गिरोह से जुड़ा सुनील व दो अन्य साथी फरार है। मास्टरमाइंड फिरोज व सुनील है। यही परदेशीपुरा स्थित घर पर नोट छापते। बाकी चार लोग इन नोटो को चलाने का काम करते। फिरोज एक लाख रुपए के असली नोट देने पर तीन लाख रुपए के नकली नोट देता। फिरोज बड़वानी में खेती करता है साथ ही उसका ट्रांसपोर्ट भी है। उसने अपनी गाड़ी में डीजल भरवाने, स्टॉफ को रास्ते के खर्च के लिए नकली नोट दिए। टोल नाके, पेट्रोल पंप, शराब दुकानो पर ये नकली नोट चला चुके है। करीब 7 महीने पहले नोट छापना व चलाना शुरु किया। फिरोज ने ही मशीने खरीदी। उसे नोट बनाने की तकनीकी जानकारी थी। अकरम व गोलू पहले बस एजेंटी का काम करते थे।
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