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1 मार्च से नहीं चलेंगी सभी स्कूल बसें , संघ अध्यक्ष सुनील खंडेलवाल की धमकी

locationइंदौरPublished: Feb 16, 2018 04:04:29 pm

डीपीएस हादसा , कब मिलेगा मासूमों को न्याय

dps
स्कूल बस बंद करने की धमकी देने वाले प्राचार्य और संचालकों पर भी दर्ज हो केस

पालक संघ ने डीआईजी से कहा- जब स्कूल बस का जिम्मा उनका नहीं तो बंद करने का फैसला वे कैसे ले सकते हैं
इंदौर. स्कूल संचालक व प्रिंसिपल एक तरफ कहते हैं, बस संचालन का जिम्मा उनके पास नहीं है। ऐसे में वे स्कूली बसों को बंद करने का फैसला कैसे ले सकते हैं। डीपीएस प्राचार्य पर दर्ज केस को हटवाने के लिए वे प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए ऐसी चेतावनी दे रहे हैं। इनके खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए। यह बात गुरुवार को पालक संघ मध्यप्रदेश की मीडिया सेल ने डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा से कही। संघ ने उन्हें मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा।
बना रहे हैं दबाव

संघ अध्यक्ष सुनील खंडेलवाल ने कहा कि एसोसिएशन ऑफ अनएडेड स्कूल, सहोदय संस्था व सीबीएसई स्कूल के प्रिंसिपल्स और संचालकों ने अफसरों से मिलकर डीपीएस प्राचार्य सुर्दशन सोनार पर दर्ज केस को सात दिन में वापस लेने व उन्हें जेल से रिहा करने की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने 1 मार्च से सभी स्कूलों में चलने वालीं बसों को बंद करने की धमकी दी है। ये सरासर गलत है।
जेल में किसी से बात नहीं कर रहे सोनार
डीपीएस के प्राचार्य सुदर्शन सोनार जिला जेल में गुमसुम हैं। कैदी अथवा कर्मचारियों से भी ज्यादा बात नहीं कर रहे। जेल रिकॉर्ड के मुताबिक परिवार के लोगों ने एक बार उनसे मुलाकात की थी, बाद में किसी ने मुलाकात नहीं की। उनकी बैरक भी बदल दी है। हालांकि सोनार चाहते थे बैरक न बदली जाए, पर नियम के कारण अफसरों ने उनकी बात नहीं मानी। चूंकि उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या है, इसलिए जेल के अफसर लगातार निगरानी कर रहे हैं। कर्मचारियों को भी इस बारे में हिदायत दी गई है। गुरुवार को अफसरों ने उनसे हालचाल पूछे, लेकिन किसी तरह की परेशानी होने से इनकार कर दिया। जेल कर्मचारियों के मुताबिक, सोनार एक ओर गुमसुम रहते हैं। वहां किताब पढ़ते हैं, ज्यादा किसी से बात नहीं करते।
प्राचार्य की जमानत अर्जी पर फिर आपत्ति
डीपीएस प्राचार्य सुदर्शन सोनार पिछले चार दिन से जिला जेल में बंद हैं। सोमवार को गिरफ्तार होने के बाद जेएमएफसी कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। गुरुवार को उनकी ओर से सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी पेश की गई, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। सेशन कोर्ट में पेश की गई जमानत अर्जी पर एडवोकेट मोहन सिंह चंदेल की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई है।
न्यायिक कार्य में बाधा डालने का दर्ज हो केस
खंडेलवाल ने कहा, पुलिस ने मामले में हादसे के तुरंत बाद डीपीएस प्राचार्य को गिरफ्तार नहीं किया। मामले की मजिस्ट्रियल जांच हुई है। इसमें सीबीएसई व सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं करना सामने आया है। ऐसे में ये न्यायिक कार्य में बाधा पैदा कर कोर्ट कार्रवाई की भी अवहेलना कर रहे हैं। इस तरह की धमकी पर इन पर भी केस दर्ज हो।
डीआईजी ने कहा, जांच के बाद हुई है कार्रवाई
खंडेलवाल ने कहा, कार्रवाई के बाद सीबीएसई के प्रिंसिपल कहते हैं, स्कूल में संचालित बस की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्ट इंचार्ज की रहती है। प्रिंसिपल का काम एकेडमिक होने से बस संचालन उनके जिम्मे नहीं है। ऐसे में वे सोनार के खिलाफ दर्ज केस वापस नहीं होने पर स्कूली बसें बंद करने की धमकी कैसे दे सकते हैं। डीआईजी ने पालक संघ से कहा, कार्रवाई सही है और जांच के बाद की गई है।
सप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का करें अध्ययन
डीपीएस हादसे के बाद स्कूल बसों के संचालन को लेकर प्रशासन ने अपना रुख सख्त कर दिया है। जागरूक इंदौर पोर्टल और विभिन्न संगठनों की जानकारी के मुताबिक करीब 200 स्कूल-कॉलेज बस व्यवस्था का संचालन करते हैं। कलेक्टर ने संचालकों को शपथ-पत्र के साथ जानकारी 28 फरवरी तक देने का नोटिस जारी किया है। सभी को अनिवार्यता पर असमंजस दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का अध्ययन करने को कहा गया है।
कलेक्टर निशांत वरवड़े ने बताया, स्कूल संचालकों व प्राचार्यों के साथ हुई बैठक में आए सुझावों के आधार पर शपथ-पत्र में सुधार कर दिए गए हैं। इसमें एक भी शर्त एेसी नहीं है, जिसका संचालक पालन नहीं कर सकते। साथ ही बसों में कुछ भी अतिरिक्त खर्च करने के लिए भी नहीं कहा गया है।
चांटा मारने वाले परिजन पर भी हो कार्रवाई
डीपीएस प्राचार्य सुदर्शन सोनार की गिरफ्तारी से नाराज सहोदय समूह और अनएडेड स्कूल संचालक एसोसिएशन ने गुरुवार को दोनों संगठनों ने कलेक्टर-डीआईजी को ज्ञापन भेजा है। सीबीएसई व स्टेट बोर्ड से संचालित स्कूलों का कहना है, प्राचार्य पर लगाई धाराएं ठीक नहीं हैं, इनको हटाया जाए। सभी ने कलेक्टोरेट में डीपीएस की कार्यकारी प्राचार्य आशा नायर को चांटा मारने वाले परिजन के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज करने मांग की है। उन्होंने कहा, शपथ-पत्र सिर्फ इंदौर जिले में ही लिया जा रहा है। वह कानूनसम्मत व उचित नहीं है, इसे वापस लिया जाए। सरकारी विभागों द्वारा की जा रही कार्रवाई भी रोकी जाए।
डीपीएस प्रबंधन के खिलाफ भी दर्ज हो केस
डीपीएस बस हादसे को लेकर एक और जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई है। लक्ष्य चेतन्य वेल्फयेर सोसायटी द्वारा दायर की गई याचिका में मांग की गई है कि इस घटना में स्कूल प्रिंसिपल के साथ ही स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाए। घटना को लेकर पांच जनहित याचिका पहले से ही विचाराधीन है। नई याचिका में मांग की गई है कि स्कूल बसों को बीआरटीएस में से गुजरने की अनुमति दी जाए। साथ ही 15 साल पुरानी सभी बसों को हटाया जाए।
सख्ती से इन नियमों का पालन हो, ताकि ऐसा हादसा दोबारा न हो सके। याचिका में कहा गया है कि इस घटना के लिए जितना स्कूल प्रबंधन और प्रिंसिपल, ट्रांसपोर्ट मैनेजर जिम्मेदार हैं, उतनी ही जिम्मेदारी आरटीओ की भी है, इसलिए उन्हें भी तत्काल सस्पेंड कर गिरफ्तार किया जाना चाहिए। अगले सप्ताह याचिका पर सुनवाई हो सकती है।

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