केस बिगड़ गया तो लौटा दिए पैसे बाणगंगा निवासी मिश्रीलाल को भी मंगलवार को चोइथराम नेत्रालय लाया गया। उन्होंने बताया, ऑपरेशन के लिए 20 हजार 500 रुपए का शुल्क दिया था। 6 अगस्त को पट्टी खुली तो दिखना ही बंद हो गया। केस बिगड़ता देख डॉक्टर ने रुपए वापस कर दिए। परिवार ने स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट से संपर्क किया। इसके बाद चोइथराम नेत्रालय लाया गया, जहां डॉ. रमन ने जांच के बाद इलाज के लिए चेन्नई भेजने का निर्णय लिया। शाम के विमान से उन्हें चेन्नई रवाना किया गया। बीमा नगर के बालमुकुंद वैष्णव (५८) भी मंगलवार शाम चोइथराम नेत्रालय पहुंचे। उनका ऑपरेशन भी 5 अगस्त को किया गया, अगले दिन नहीं दिखने की शिकायत के बाद डॉक्टर टालते रहे।
एक का विजन बढ़ा, स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे मिलने चोइथराम नेत्रालय में जिन 8 मरीजों का इलाज जारी है, उनमें से चार की हालत में कुछ सुधार है। वहीं एक का विजन बढ़ा है। तीन की हालत चिंताजनक बनी हुई है, इसमें से एक मरीज गेंदालाल चौधरी ने सर्जरी के बाद भी कुछ नहीं दिखाई देने की बात कही है। स्वास्थ्य मंत्री सिलावट मंगलवार दोपहर मरीजों को देखने चोइथराम नेत्रालय पहुंचे। नेत्रालय के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. अश्विनी वर्मा ने उन्हें जानकारी दी। रमाबाई, कलाबाई, कैलाश दास, रामीबाई, सुशीला, कालीबाई और राधेश्याम ने सर्जरी के बाद हल्का-हल्का दिखने की बात कही।
एक और बैक्टीरिया की पुष्टी डॉ. रमन ने बताया, इंदौर में भर्ती मरीजों की आंखों में संक्रमण के कारण पड़े पस के नमूने चेन्नई भेजे थे। वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद दवाएं दी जा रही हैं। पहले सोडोमोनास बैक्टीरिया पाया गया था। चेन्नई से मिली रिपोर्ट में ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया की भी पुष्टी हुई है।