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इंदौर आंखफोड़वा कांड पर बड़ी कार्रवाई, अस्पताल का लाइसेंस रद्द, जांच के लिए कमिटी गठित, कमलनाथ हैं सख्त

locationइंदौरPublished: Aug 17, 2019 04:19:03 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

सरकार ने इंदौर आई अस्पताल के लाइसेंस कैंसिल करने के दिए आदेश.

 Indore eye hospital
इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित आई अस्पताल में ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। कुछ मरीजों को एक आंख तो कुछ मरीजों को दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा। अब सरकार ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि अस्पताल के लाइसेंस रद्द करने के आदेश दिए हैं। साथ ही जांच के लिए कमिटी की गठन किया है।
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि मरीजों को बेस्ट ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। साथ ही मैंने आदेश अस्पताल के लाइसेंस को कैंसिल करने का आदेश दिया है। वहीं, मरीजों को 20 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। साथ ही दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले की जांच के लिए एक सात सदस्यीय कमिटी गठित की गई है।
https://twitter.com/ANI/status/1162662232846716928?ref_src=twsrc%5Etfw
 

दरअसल, इंदौर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का इलाज करवाने वाले 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। मामला सामने आने के बाद सीएमएचओ डॉ प्रवीण जड़िया ने कहा कि 11 मरीजों का इलाज फिर से शुरू हो गया है। हमलोग इसके कारण की जांच कर रहे हैं। प्रशासन ने इस मामले की जांच कर 72 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
https://twitter.com/hashtag/MadhyaPradesh?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
 

इस मामले को लेकर सीएम कमलनाथ भी सख्त हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीज़ों की आंखों की रोशनी धूमिल होने की घटना बेहद दुखद, कलेक्टर को जांच के निर्देश। 9 वर्ष पूर्व इसी हॉस्पिटल में हुई घटना के बाद भी कैसे हॉस्पिटल को वापस अनुमति प्रदान की गयी, जांचकर प्रबंधन और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
https://twitter.com/OfficeOfKNath/status/1162648202073427968?ref_src=twsrc%5Etfw
 

सीएम ने दूसरे ट्वीट में लिखा कि सभी मरीजों को अन्य अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने से लेकर पीड़ित मरीज़ों की हरसंभव मदद करने के निर्देश। इन सभी मरीज़ों के उपचार का ख़र्च शासन द्वारा वाहन करने के साथ ही प्रत्येक प्रभावित मरीज़ को 50-50 हज़ार की सहायता प्रदान करने के निर्देश।
https://twitter.com/OfficeOfKNath/status/1162648203872784384?ref_src=twsrc%5Etfw
 

ये है मामला
बताया जा रहाहै कि इंदौर के आई हॉस्पिटल में ये सभी मरीज 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत ऑपरेशन के लिए भर्ती हुए थे। उसी दिन इनके ऑपरेशन हुए। अगले दिन आंखों में दवाई डालने के बाद इंफेक्शन हुआ और मरीजों ने हंगामा शुरू किया। सीएमएचओ डॉ.प्रवीण जडिय़ा ने बताया कि यहां जो दवाईयां मरीजों की आंखों में डाली गई उसकी जांच करवा रहे हैं। अस्पताल का ओटी भी सील कर दिया है। यहां आंखों के ऑपरेशन पर पाबंदी लगा दी है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन कह रहा है कि संक्रमण का कारण अब तक पता नहीं चला है। अन्य विशेषज्ञ भी जांच कर चुके हैं। सैंपल भी जांच के लिए भिजवाए हैं।
 Indore eye hospital
 

पूर्व में भी फेल हो चुके हैं ऑपरेशन
गौरतलब है की इंदौर आई हॉस्पिटल में दिसंबर 2010 में भी मोतियाबिंद के ऑपरेशन फेल हो गए थे, जिसमें 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस पर तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. शरद पंडित ने संबंधित डॉक्टर व जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की। 24 जनवरी 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन व शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया। ओटी के उपकरण, दवाइयां, फ्ल्यूड के सैंपल जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे गए। इसके बाद शिविरों के लिए सीएमएचओ की मंजूरी अनिवार्य कर दी। कुछ महीने बाद अस्पताल पर पाबंदियां रहीं, फिर इन्हें शिथिल कर दिया। 2015 में बड़वानी में भी इसी तरह की घटना में 60 से ज्यादा लोगों की रोशनी चली गई थी।
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