
usal kachori
लखन@ न्यूज़ टुडे इंदौर. कचोरी-समोसे की बात होती है तो शहर के कई ठियों के नाम लोगों की जुबान पर आ जाते हैं। हालांकि कचोरी का असली स्वाद देने वाले कुछ एक ही हैं, जिनमें से एक हैं जैन साहब, जो कपड़ा मार्केट के चौक पर ठेला लगाते हैं। ४० वर्षों से वे ठेला लगा रहे हैं। ३ रुपए से शुरू हुई उसल कचोरी १० रुपए तक पहुंच गई है, इसके बाद भी बाजार में मिलने वाली २५ रुपए की कचोरी पर भारी है और स्वाद भी लाजवाब। आज रूबरू होते हैं उसल कचोरी के इस स्वाद से।
कपड़ा मार्केट चौक के मुहाने पर जैन साहब की कचोरी के नाम से पहचाने जाने वाले ठेले का संचालन समरतमल जैन करते हैं। यहां सिर्फ उसल कचोरी ही मिलती है। ठेला पहले गली में लगता था। अब चौक के मुहाने पर लगता है। जैन ने यह ठेला ४० वर्ष पहले यहीं एक गली में शुरू किया था, जब ३ रुपए में वे उसल कचोरी देते थे। फिर ६, ८ और अब १० रुपए में उसल कचोरी मिलती है। इसकी क्वालिटी और साइज दूसरे स्थानों पर मिलने वाली कचोरी के रेट के हिसाब से भारी पड़ते हैं। जैन साहब कहते हैं कि कहीं-कहीं यही सामग्री ३० रुपए में मिलती है, लेकिन ऐसा स्वाद नहीं है। हमारा मकसद ग्राहकों की संतुष्टि है न कि पैसा कमाना।
इमली, अमचूर, हरी मिर्च व अन्य मसालों से तैयार चटनी
कई लोग जो उसल का स्वाद न लेना चाहे तो उन्हें 8 रुपए में चटनी में कचोरी दी जाती है। अगर सेंव लेंगे तो दो रुपए अलग से लगते हैं। कचोरी का मसाला मूंगदाल का बनता है और कचोरी काफी सॉफ्ट होती है। इसके साथ ही चटनी इमली, अमचूर व हरी मिर्च, पुदीने के साथ विशेष मसाले डालकर बनाई जाती है।
मोठ-मसालों से स्वाद
जैन पद्धति से बनने वाले उसल में हमेशा एक जैसा स्वाद बनाए रखने के लिए काफी जतन करना पड़ते हैं। जैन बताते हैं कि मसालों के साथ ही मोठ का प्रयोग किया जाता है। जब उसल का बघार लगता है, तब बड़ी सावधानी रखना होती है। कब, कौन सा मसाला डालना है, कितने समय उसे पकाना है, इसी पर उसल का स्वाद निर्भर करता है।
Published on:
14 Dec 2017 05:24 pm
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