याचिकाकर्ता सीनियर एडवोकेट अविनाश सिरपुरकर ने कोर्ट से गुजारिश की है कि हमें ऐस कैदियों के अर्थदंड की राशि जमा करने की इजाजत दी जाए ताकि वे जेल से बाहर आ सकें। सिरपुरकर का कहना है कि कुछ लोग 500, 1000 और 2000 रुपए जुर्माना जमा नहीं कर पाने के कारण जेल में रहने को मजबूर हैं, यदि कोर्ट इजाजत देगी तो ऐसे आरोपियों के अर्थदंड हम जमा करेंगे। कोर्ट में इस पर सरकार को इंदौर हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आने वाली सभी जेलों में बंद कैदियों से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दिए हैं।