इससे पहले याचिकाकर्ता की याचिका केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण ने भी 10 हजार के जुर्माने के साथ खारिज की थी।
एडवोकेट एचवाय मेहता के मुताबिक, नर्मदा नदी मप्र के अलावा गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से गुजरती है। इन प्रदेशों में पानी वितरण की मॉनिटरिंग का जिम्मा एनसीए के पास है। इसकी पर्यावरण और पुनर्वास शाखा में सदस्य के रूप में 2010 में अफरोज अहमद की नियुक्ति की गई थी।
एडवोकेट एचवाय मेहता के मुताबिक, नर्मदा नदी मप्र के अलावा गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से गुजरती है। इन प्रदेशों में पानी वितरण की मॉनिटरिंग का जिम्मा एनसीए के पास है। इसकी पर्यावरण और पुनर्वास शाखा में सदस्य के रूप में 2010 में अफरोज अहमद की नियुक्ति की गई थी।
कानून में बदलाव के चलते तब वे यह जिम्मेदारी नहीं निभा सके थे 2014 में फिर इस पद के लिए निकाली गई भर्ती में भी अफरोज का चयन हुआ था। इस नियुक्ति और केंद्र सरकार के नियमों को इंदौर के पवन कुमार ने 2010 और 2014 में चुनौती दी। अफरोज की डॉक्टरेट की डिग्री भी फर्जी होने का आरोप लगाते हुए जिला कोर्ट में परिवाद पेश किया था।
मेहता ने बताया, जिला कोर्ट, हाइ कोर्ट और केंद्रीय अभिकरण में मिलाकर पवन कुमार ने 24 याचिकाएं पेश की थीं, जिनमें से अधिकांश खारिज हो चुकी हैं। अभिकरण में 2014 की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका के फैसले को हाइ कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई, कोर्ट ने खारिज कर दिया। फर्जी डाक्टरेट डिग्री के आरोपों से जुड़ी क्रिमिनल अपील भी जस्टिस एससी शर्मा की कोर्ट ने खारिज की है।
केसरबाग ब्रिज शुरू, कोर्ट ने खारिज की याचिका
इंदौर. आठ साल के लंबे इंतजार के बाद 2016 में अन्नपूर्णा मंदिर रोड को एबी रोड से जोडऩे वाले केसरबाग रेलवे ओवर ब्रिज को लेकर दायर जनहित याचिका मंगलवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
इंदौर. आठ साल के लंबे इंतजार के बाद 2016 में अन्नपूर्णा मंदिर रोड को एबी रोड से जोडऩे वाले केसरबाग रेलवे ओवर ब्रिज को लेकर दायर जनहित याचिका मंगलवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और जस्टिस एसके अवस्थी की युगल पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी है कि केसरबाग ब्रिज शुरू हो जाने के बाद अब जनहित याचिका सारहीन हो गई है।
ब्रिज को बनाने वाली ठेकेदार अरविंद टेक्नो कंपनी और आईडीए के बीच पैसों के भुगतान को लेकर चल रहे विवाद को लेकर कोर्ट ने कहा है, इसे सुलझाने के लिए
दोनों पक्ष सक्षम न्यायालय में मामला लेकर जाएं। हाई कोर्ट में भुगतान के मुद्दे पर सुनवाई
नहीं होगी।
दोनों पक्ष सक्षम न्यायालय में मामला लेकर जाएं। हाई कोर्ट में भुगतान के मुद्दे पर सुनवाई
नहीं होगी।