युवाओं की टोलियां, लाल-गुलाबी चेहरे, पिचकारी से उड़ते रंग, उत्साह और उमंग, इस त्योहार का मिजाज कुछ ऐसा ही है। गली-मोहल्लों से लेकर स्कूल-कॉलेजों में भी होली का रंग खूब चढ़ा हुआ है। होली का दहन भले ही आज हो, लेकिन दो दिन पहले से ही माहौल परवान चढऩे लगा है। बाजारों में रौनक है और इतने आइटम हैं, जो आपको रंगों में सराबोर करने के लिए काफी है। खासतौर पर खुशबू वाला गुलाल शहर को रंगने व महकाने के लिए उपलब्ध है।
कॉलेजों में छुट्टियों को देखते हुए होली का रंग सप्ताह की शुरुआत से ही जमने लगा था। यूनिवर्सिटी में भी छात्र-छात्राओं ने कल खूब होली खेली। होस्टल्स में भी यही हाल रहा। होली सुरक्षित तरीके से मनाई जाए, इसके लिए खास हर्बल कलर बाजारों में आए हुए हैं। हर्बल गुलाल, बच्चों के लिए फैंसी पिचकारी, कलर भरने के लिए रंग-बिरंगे गुब्बारे, खास तौर पर तैयार चमकीली टोपी हैं और बुरा न मानो होली लिखी हुई टी-शर्ट भी उपलब्ध हंै। मुंह मीठा करने के लिए पारंपरिक व्यंजनों में गुजिया हैं तो नमकीन में नवरंग मिक्सचर है। पूजा के लिए माला और कंगन भी हैं। होली पर चढ़ाने के लिए कंडे, बडकुले (गोबर से तैयार छोटी रिंग की माला) गेहूं की बाली, चने के छोड़ मिल रहे हैं।
ठंडाई के बिना होली का मजा अधूरा है
गुजिया होली की पारंपरिक मिठाई है, जिसे कुछ मिठाई और नमकीन निमातज़ खासतौर पर तैयार करते हैं। इसमें मावे के साथ ड्रायफ्रूट्स होते हैं। शुद्ध घी से तैयार गुजिया 500 से 800 रुपए किलो बिक रही है। इसके अलावा नवरंग मिल रहा है, जो होली की तरह ही रंगीन है। ठंडाई के बिना होली का मजा अधूरा है। यह बादाम, पिस्ता, खसखस, केसर, गुलाब की पत्ती से तैयार होती है।
गुजिया होली की पारंपरिक मिठाई है, जिसे कुछ मिठाई और नमकीन निमातज़ खासतौर पर तैयार करते हैं। इसमें मावे के साथ ड्रायफ्रूट्स होते हैं। शुद्ध घी से तैयार गुजिया 500 से 800 रुपए किलो बिक रही है। इसके अलावा नवरंग मिल रहा है, जो होली की तरह ही रंगीन है। ठंडाई के बिना होली का मजा अधूरा है। यह बादाम, पिस्ता, खसखस, केसर, गुलाब की पत्ती से तैयार होती है।