मामला इस प्रकार है: शासन ने 30 जलाई 2018 को हाई स्कूल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट-2018 के लिए विज्ञप्ति निकाली थी। इसके लिए 5 फरवरी 2019 को परीक्षा हुई और 28 अगस्त को परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। परीक्षा में हजारों उम्मीदवार शामिल हुए थे। परीक्षा देने वाली सुनीता पोरवाल की ओर से एडवोकेट केके गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि पीईबी द्वारा उक्त परीक्षा में शामिल छह प्रश्न सही होने के बावजूद मनमाने ढंग से निरस्त कर दिए गए।
अनुवाद में नहीं थी भिन्नता, उत्तर भी थे सही याचिका में उक्त परीक्षा के नियमों का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस नियम में उल्लेखित है कि परीक्षा में आए प्रश्नों को तभी निरस्त किया जा सकता है जब प्रश्न के अंग्रेजी व हिंदी अनुवाद में भिन्नता हो और उसका सही उत्तर नहीं प्राप्त हो रहा हो, लेकिन पीईबी ने जिन छह प्रश्नों को निरस्त किया उनके हिंदी व अंग्रेजी अनुवाद में भिन्नता नहीं थी। इसके बावजूद ये प्रश्न निरस्त किए जाने से याचिकाकर्ता परीक्षा में पास नहीं हो पाई। यदि यह प्रश्न निरस्त नहीं किए जाते तो वे उत्तीर्ण हो जातीं। ऐसे में पीईबी की गलती के कारण उसका चयन नहीं हो पाया। कोर्ट ने याचिका में पेश तर्कों के आधार पर नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब मांगा है।