जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहत निगम ने सीवर की प्राइमरी पाइप लाइन डाली। शहर को तीन जोन में बांटकर यह काम किया। ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए ईस्ट, वेस्ट और सेंट्रल जोन सहित बीआरटीएस पर सीवर लाइन डाली गई। वर्ष 2007 में यह काम किया गया था, जिसे 12 साल हो गए। प्राइमरी लाइन डालने के बाद इससे सेकंडरी यानी कॉलोनी-मोहल्लों की लाइन जोडऩा शुरू किया गया, लेकिन प्राइमरी पाइप लाइन की जर्जर हालत और टूटते चेंबरों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजन प्राइमरी लाइन जर्जर होने से पानी नदी-नालों में जाने लगा है।
अब लाइन की हालत सुधारने के साथ नदी-नाले में जा रहे गंदे पानी को रोकने के लिए सुधार कार्य करने की योजना निगम ने बनाई है। इसके तहत ईस्ट, वेस्ट, सेंट्रल और बीआरटीएस पर डली प्राइमरी पाइप लाइन की जहां सफाई कराई जाएगी, वहीं संधारण यानी सुधार कार्य भी होगा। साथ ही टूटे चेंबरों को भी सुधारा जाएगा। इस काम पर निगम करोड़ों रुपए खर्च करेगा। प्राइमरी लाइन की हालत सुधारने और टूटे चेंबर बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी और समय-समय पर मेंटेनेंस न करने से यह हालत हुई है।
अमृत के तहत भी हो रहे करोड़ों खर्च
ड्रेनेज सिस्टम सुधारने के लिए निगम ने जहां जेएनएनयूआरएम के तहत 500 करोड़ से ज्यादा खर्च किए, वहीं अब अमृत प्रोजेक्ट के तहत भी यही काम किया जा रहा है। अमृत के तहत 306 करोड़ रुपए से ज्यादा निगम ड्रेनेज पर खर्च करेगा। इसको लेकर टेंडर जारी होने के साथ काम शुरू हो गया है।
रिपोर्ट में खुली पोल… लाइन में भर गई मिट्टी, खुल गए जॉइंट्स
सीवर की प्राइमरी लाइन का सर्वे निगम ने डीआरए कंसल्टेंट कंपनी से करवाया है। ये सर्वे एक विशेष कैमरे से किया गया है, जिसकी रिपोर्ट बताती है कि सीवर लाइन के जॉइंट कई जगह से खुल गए हैं। पाइप जर्जर हो गए हैं। लाइन में मिट्टी भर गई है व अन्य सामग्री फंसी हुई है। कई जगह चेंबर टूटने के साथ बैठ गए हैं। कई जगह सीवर की प्राइमरी लाइन के पाइप डालना ही भूल गए। कई जगह लाइन चोक है। इस रिपोर्ट के आधार पर अब निगम प्राइमरी लाइन सुधारने के साथ सफाई करने जा रहा है। इसको लेकर टेंडर जारी कर दिए हैं, ताकि सीवर नेटवर्क सिस्टम सुधारा जा सके। इस प्रक्रिया को पूरा होने तक निगम ने मैन्यूअल काम कराने की भी प्लानिंग की है। लाइन के छोटे-छोटे काम जल्द से जल्द करने के लिए यह प्लानिंग की है। रिपोर्ट के आधार पर जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट संभालने वाले अफसरों के काम करने की पोल खोलने के साथ लापरवाही भी सामने आ गई है।