निगम अपना खाली खजाना भरने में लगा है। पहले जहां मल निपटान शुल्क लागू किया और बाद में संपत्तिकर बकाया होने पर 50 प्रतिशत की छूट को खत्म कर दिया, वहीं अब शहर में मुख्य मार्गों के डिवाइडर पर लगे सेंट्रल लाइट पोल के बीच से जाने वाली केबल का पैसा वसूला जाएगा। यह टीवी केबल और प्राइवेट कंपनियों की इंटरनेट केबल आदि रहती है। इनसे पैसा वसूलने का संकल्प निगम प्रशासक डॉ. पवन कुमार शर्मा ने पिछले माह 8 अप्रैल को पारित किया, ताकि राजस्व में वृद्धि हो सके। सेंट्रल लाइट और आर्म विद्युत पोल पर ओवर हेड केबलिंग से प्रति पोल शुल्क वसूला जाएगा। यह शुल्क भी तय कर दिया गया है, जो वार्षिक रहेगा।
फॉर्मेट में देनी होगी जानकारी शुल्क वसूल करने से पहले शहर में लगे सेंट्रल लाइट और आर्म विद्युत पोल का सर्वे करवाया जा रहा है। इसके लिए जोनवाइज टीम बना दी गई है। इसमें राजस्व विभाग के सहायक राजस्व अधिकारी (एआरओ) और विद्युत विभाग के उपयंत्री को शामिल किया गया है। यह टीम एक-एक पोल की गणना करने के साथ कहां-कहां केबल डली, इसका सर्वे कर 15 दिन में रिपोर्ट देगी। इसके आधार पर फिर वसूली होगी। यह टीम मार्केट व राजस्व विभाग के उपायुक्त और विद्युत विभाग के अधीक्षण यंत्री के निर्देशन में काम करेगी। इनकी जिम्मेदारी होगी कि तय समय में काम पूरा हो जाए। साथ ही प्रतिदिन पोल की गणना की जानकारी राजस्व विभाग की अपर आयुक्त भव्या मित्तल को देना होगी। पोल का सर्वे कर जानकारी भरने के लिए टीम को एक फॉर्मेट भी दिया गया है।
लिए जाएंगे 700 रुपए प्रति पोल निगम द्वारा सेंट्रल लाइट और आर्म पोल को शहर के प्रमुख मार्गों पर स्थापित किया जाता है। इन मार्गों पर अंडरग्राउंड केबलिंग की जाती है, लेकिन नेटवर्क प्रदाता कंपनी इन पोल के ऊपर से ओवरहेड केबलिंग करने पर मार्गों की सुंदरता बिगड़ती और केबल का मकड़ जाल अलग नजर आता है। इसके मद्देनजर ही निगम ने अब 700 रुपए प्रति पोल शुल्क कंपनियों से वसूलने का फैसला लेकर लागू कर दिया है। यह निर्धारित शुल्क अग्रिम वसूल किया जाएगा।

