थंब मशीन में बगैर अंगूठा लगाए आने-जाने वालों की पगार कटेगी। जो थंब लगाएगा, उसकी पगार बनेगी और नहीं लगाने वाले की नहीं। इसके साथ ही ऑफिस टाइम के घंटे भी देखे जाएंगे।
कामचोरी करने और बिना वजह लोगों का काम अटकाने में निगमकर्मियों को महारथ हासिल है। बिना बताए काम पर से गायब होने के बाद पकड़ाने पर कई बहाने तैयार रहते हैं, जिन पर विश्वास करना ही पड़ता है। कई निगमकर्मी काम पर लेट आने और बिना बताए गायब होने पर कोर्ट में तारीख होने, पालिका प्लाजा में लगने वाले दफ्तर जाने, नेहरू पार्क में स्मार्ट सिटी ऑफिस जाने, कलेक्टोरेट जाने, जोनल ऑफिस सहित बड़े साहब के काम से जाने का बताकर बच जाते हैं, क्योंकि निगमकर्मी वाकई में इन जगहों पर गया है कि नहीं कोई चेक नहीं करता।
निगम मुख्यालय पर आने का समय सुबह 10.30 बजे है, जबकि कई विभाग के अफसर-कर्मचारी दोपहर 12 बजे तक या फिर दोपहर 1.30 बजे लंच के बाद ही पहुंचते हैं। कई कर्मचारी लंच बाद गायब हो जाते हैं। इन्हें न तो कोई रोकने वाला होता और न ही टोकने वाला। कारण जिनके ऊपर यह जिम्मेदारी है, उनकी भी यही हालत है। जोनल ऑफिस पर तो मुख्यालय से बदतर हालात है। नतीजतन लोगों को अपने काम के लिए भटकना पड़ता है।
बहाने बनाकर काम पर से गाय३ब रहने वाले कर्मचारी थंब मशीन लगने से पकड़ में आ जाएंगे, क्योंकि उन्हें जब भी ऑफिस छोडऩा होगा तब थंब लगाना होगा। इससे बिना वजह बार-बार गायब होने वाले थंब नहीं लगाएंगे। वजह एक दिन में कई बार थंब लगाने पर सवाल-जवाब होंगे और ऑफिस छोड़कर जाने का कारण भी बताना होगा।
निगम अफसर और कर्मचारी समय पर आने के साथ जाएं इसके लिए पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा के कार्यकाल में मुख्यालय सहित जोनल ऑफिस पर थंब मशीन लगाई गई। थोड़े दिन तक व्यवस्था ठीक चली, लेकिन कामचोर कर्मचारियों ने मशीन खराब करने के लिए नए-नए तरीके निकालना शुरू कर दिए। अंगूठा लगाने के स्थान पर घिसाई कर दी और धीरे-धीरे मशीन खराब होने लगी। इसके बाद व्यवस्था ठप हो गई। इसे फिर से शुरू करने के लिए महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में प्लानिंग की गई, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ। अब महापौर मालिनी गौड़ के कार्यकाल के 4 साल गुजरने के बाद थंब मशीन लगाई जा रही है। देखना है कि यह व्यवस्था निगम में लागू रहती है या नहीं। या फिर डॉ. शर्मा के कार्यकाल की तरह नष्ट तो नहीं हो जाएगी।