निगम परिषद की बैठक में इंदौर को इंदूर करने का प्रस्ताव रखा गया है। शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव एमआईसी सदस्य सुधीर देडग़े ने रखा। कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव पर सहमति दी और कहा कि इंदौर का नाम इंदूर किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि इंदौर का नाम पहले इंदूर ही था लेकिन इसे अंग्रेजों के समय में बदल दिया गया था। अब एक बार फिर से इसका नाम बदलने की पहल की गई है और शहर की जनता को उम्मीद है कि जल्द ही उनका सपना साकार होगा।
मंगलवार सुबह शुरू हुई निगम परिषद की बैठक हंगामेदार रही। बैठक में शुरुआत से ही नेताओं के बीच की आपसी तनातनी साफ नजर आई। अधिकांश समय पार्षद हंगामा ही करते रहे। इन सबके बीच जनता की समस्याओं पर चर्चा कम हुई और अधिकांश समय हंगामे में चला गया।
बैठक की झलकियां
शोक व्यक्त करने के बाद सभा स्थगित होते ही चंदू शिंदे और राजेन्द्र राठौर वापस चले गए। निगम परिषद में आने के बाद भी विधानसभा क्षेत्र 2 के नेता महापौर से नहीं मिले।
5 महीने बाद बैठक बुलाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया। इस पर सभापति ने कहा कि बैठक बुलाने का अधिकार मुझे नहीं महापौर को है। नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि क्या अफसर कोर्ट को कुछ भी नहीं समझते हैं।
इस पर दिलीप शर्मा बोले यह हमारे परिवार का मामला है। आप कोर्ट ही जाइये। परिषद में नेता प्रतिपक्ष हाय हाय के नारे लगने लगे। भाजपा नेताओं ने नेता प्रतिपक्ष को बाहर करने की मांग की और खूब हंगामा किया।
कांग्रेस पार्षद सभापति की आसन्दी के पास पहुंचे और फिर भाजपा पार्षद भी सभापति के पास पहुंच गए। भाजपा पार्षदों ने नेता प्रतिपक्ष को सदन से माफी मांगने के लिए दबाव बनाया। दिलीप शर्मा को दी सभापति ने बाहर करने की चेतावनी दी।
निगम परिषद के अंदर पुलिस पहुंची। टीआई अनिल यादव को निगमायुक्त ने यह कहकर बाहर कर दिया कि आपको किसी ने यहां नहीं बुलाया फिर आप यहां कैसे आए।