दरअसल, ये मामला इंदौर जिले केलोद कांकड़ गांव की है। जहां 14 साल की लड़की की 21 साल के लड़के से शादी तय थी। शादी 20 नवंबर को होनी थी। उससे पहले रविवार को यानी 16 नवंबर को प्रशासन को इसकी जानकारी मिल गई। दोनों परिवारों ने शादी की पूरी तैयारी कर ली थी। जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम सक्रिय हो गई।
शुरू हो गई शादी की रस्में
केलोद कांकड़ गांव में लड़की के घर शादी की रस्में शुरू हो गई थी। सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम गांव पहुंच गई। लड़की के परिवारवालों को समझाकर शादी की रस्में रुकवाई। महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रशासन के कानूनी कदम उठाने की चेतावनी देने पर लड़की के परिजन उसका बाल विवाह रोकने को राजी हो गए।
केलोद कांकड़ गांव में लड़की के घर शादी की रस्में शुरू हो गई थी। सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम गांव पहुंच गई। लड़की के परिवारवालों को समझाकर शादी की रस्में रुकवाई। महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रशासन के कानूनी कदम उठाने की चेतावनी देने पर लड़की के परिजन उसका बाल विवाह रोकने को राजी हो गए।
परिवार से भरवाया शपथ पत्र
फिलहाल प्रशासन की पहल से चौदह वर्षीय लड़की बालिका वधू बनने से बच गई है। वहीं जिला प्रशासन की टीम ने लड़की के परिवार से एक शपथ पत्र भी भरवाया है। उनसे यह आश्वासन लिया गया है कि वे अपनी संतान को तब तक शादी के बंधन में नहीं बांधेंगे, जब तक वह पूरे अठारह साल की नहीं हो जाती। अब यह शादी टल गई। घर आए रिश्तेदार अब लौटने लगे।
क्या है कानून
दरअसल, बाल विवाह को रोकने के लिए देश में कानून भी है। जिसके तहत लड़की की शादी 18 साल और लड़के की शादी 21 साल से कम की उम्र में न हो। अगर ऐसा होता है तो यह कानूनन अपराध है। इस कानून के अंतर्गत अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल की सजा या फिर एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। या फिर दोनों ही सजाएं हो सकती हैं।
दरअसल, बाल विवाह को रोकने के लिए देश में कानून भी है। जिसके तहत लड़की की शादी 18 साल और लड़के की शादी 21 साल से कम की उम्र में न हो। अगर ऐसा होता है तो यह कानूनन अपराध है। इस कानून के अंतर्गत अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल की सजा या फिर एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। या फिर दोनों ही सजाएं हो सकती हैं।