कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल की मौत के बाद वाणिज्यिक कर विभाग ने जांच और तेज कर दी है। इसमें चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसे उत्पादों की खरीदी-बिक्री के बिल भी टैक्स चोरी में इस्तेमाल किए गए, जिनका स्थानीय बाजार में ज्यादा व्यापार नहीं होता। इनमें मक्खन, तिल्ली और सरसों का तेल शामिल हैं। फर्जी फर्म के जरिए इन उत्पादों की खरीद-बिक्री दिखाकर करोड़ों की टैक्स चोरी की गई है। इन उत्पादों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों की जगह सामान्य वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर वाली गाडिय़ां मिलीं। विभाग को शक है, सिर्फ टैक्स चोरी के मकसद से ये नंबर बिल में चढ़ाए गए।
जांच में प्रैक्टिस बंद कर चुके एक चार्टर्ड अकांउटेंट की भूमिका भी सामने आ रही है। सीए एसोसिएशन से मिली जानकारी के अनुसार, उक्त सीए ने प्रैक्टिस लाइसेंस भी सरेंडर कर दिया है। विभाग को जानकारी मिली, सीए ने भारी मात्रा में फर्जी बिल उपलब्ध कराए थे। इधर, टीपीए के एक सदस्य पर भी आरोप लग रहे हैं। आशंका है, ये खेल जीएसटी लागू होने से पहले से चल रहा है। करोड़ों की रिकवरी दिखाने के लिए अग्रवाल को फंसा दिया गया। उन्हें लगातार पुलिस में रिपोर्ट करने और जेल भिजवाने की धमकी दी जा रही थी। इसमें कर सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट और विभाग से ही जुड़े अफसर के शामिल होने की बात सामने आ रही है, जबकि स्टेट टैक्स कमिश्नर डीपी आहूजा का कहना है, जांच जारी है। अब तक कोई पुलिस कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।विभाग अलग-अलग जगह से जब्त दस्तावेजों के साथ अब कम्प्यूटर की फोरेंसिक जांच भी करवा रहा है।
एफआईआर नहीं, फिर भी बना रहे थे दबाव : थाने में आवेदन के बाद अग्रवाल पर गिरफ्तारी का दबाव बनाया जा रहा था, जबकि पुलिस ने प्रकरण ही दर्ज नहीं किया था। फर्जी खाता खुलवाने का मामला भी उजागर : विभाग ने एक व्यक्ति को पकड़ा था, जिसके नाम से फर्जी खाता खोला गया था। उसी के नाम की फर्म बालाजी इंटरप्राइजेस इंदौर और महू में खोली गई, लेकिन दोनों फर्म के लिए अलग-अलग जीएसटी नंबर जारी कराए गए थे।