इंदौर

अपनों पर ‘मेहरबान’ पुलिस अफसर, जांच का आदेश देते हैं लेकिन नहीं करते सख्त कार्रवाई

लेन-देन से लेकर जमीन के मामले में लगातार आती हैं शिकायतें

इंदौरOct 08, 2017 / 11:54 am

अर्जुन रिछारिया

indore police

प्रमोद मिश्रा @इंदौर. पुलिस अफसर अपने कर्मचारी को हमेशा बचा ले जाते हैं। 20 हजार की वसूली में शामिल दो पुलिसकर्मियों पर आपराधिक केस दर्ज करने से बचने का पहला मामला नहीं है, इस थाने के प्रभारी के साथ ही कई अफसर पहले लगे आरोपों में हमेशा बचते रहे हैं। हमेशा जांच के आदेश तो देते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
एमजी रोड थाने के ताजा मामले में अफसरों ने न सिर्फ 20 हजार की वसूली को 5 हजार का बना दिया, बल्कि पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने के बजाय मुखबिरों की आरोपी बना दिया। एमजी रोड थाने को लेकर ऐसी शिकायतें पहले भी आ चुकी हैं। थाना प्रभारी अनिल यादव पहले भी चर्चा में रहे हैं। होली के समय इन्हें क्षेत्र के आपराधिक मामलों में लिप्त रहे व्यक्ति की बिना नंबर की जीप में रौब झाड़ते देखा गया था। मामला चर्चा में आने पर अफसरों ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। वे वर्दी में वरिष्ठ अफसर के पैर छूते हुए कैमरे में कैद हुए थे।
भ्रष्टाचार की किसी भी शिकायत पर गंभीरता से कार्रवाई करते हैं। विभिन्न मामलों में जांच की जा रही है। इन मामलों में भी कोई भी पुलिसकर्मी दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।
हरिनारायणाचारी मिश्रा, डीआईजी
अप्रैल 2017 में रानीपुरा में पटाखे की दुकान में आग लगी और 6-7 लोगों की जान चली गई। सघन इलाके में पटाखा संग्रहण को लेकर न्यायिक जांच हुई, जिसमें तत्कालीन सेंट्रल कोतवाली थाना प्रभारी चंद्रभानसिंह चडार को दोषी ठहराया गया। उन्हें लाइन अटैच किया, लेकिन जांच आगे नहींं बढ़ी। यही नहीं, उन्हें महू थाने का प्रभारी बना दिया गया।
सिपाही को भी बचा लिया
परदेशीपुरा थाने के सिपाही सोनू पर भी धोखाधड़ी के आरोप लगे। डीआईजी के सामने जनसुनवाई में पहुंची महिला ने आरोप लगाया था कि सोनू ने प्लॉट के नाम पर राशि हड़प ली और अब धमका रहा है। प्लॉट पर कब्जे के आरोपी पकड़े तो उसमें भी सिपाही की संदिग्ध भूमिका सामने आई। डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा ने एएसपी अमरेंद्रसिंह को जांच सौंपी। लंबे समय से सिपाही के खिलाफ जांच ही चल रही है। विजयनगर थाने में ऐसा ही मामला था। एएसआई ने एक्सीडेंट के केस में वास्तविक वाहन व उसके चालक के बजाय दूसरे वाहन व चालक को कोर्ट में पेश कर दिया। फरियादी ने सबूत के साथ शिकायत की, पर आज तक जांच ही चल रही है। आबकारी घोटाले के आरोपी शराब ठेकेदारों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के सबूत भी पुलिस को मिले, लेकिन सांठगांठ करने वाले कर्मचारियों को बचा लिया।
क्राइम ब्रांच में भी आ गए कई दागी
क्राइम ब्रांच को लेकर भी कई आरोप लगे, लेकिन अफसरों ने हर जांच को दबा दिया। निपानिया में बिना अनुमति दवाएं बनाने की फैक्ट्री पर छापा मारने के मामले में लाखों रुपए के लेन-देन में एक एसआई व एएसआई का नाम सामने आया, लेकिन अफसरों ने कार्रवाई नहीं की। बाद में एक एएसआई का प्रशासनिक कारण बताकर तबादला कर दिया। गुजरात में पुलिस कस्टडी से फरार हुए आरोपितों के केस में लापरवाही बरतने पर सस्पेंड सिपाही को कुछ ही दिन में बहाल कर क्राइम ब्रांच में पदस्थ कर दिया। राजेंद्रनगर में सट्टे के आरोपितों से सांठगांठ के आरोप में लाइन अटैच एसआई को भी क्राइम ब्रांच में लाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी। कई पुलिसकर्मियों की जांच के दावे किए गए, लेकिन उन्हें क्राइम ब्रांच में पदस्थ कर दिया।
चेन लुटेरे को रिश्वत लेकर छोड़ा, बच गए दोषी
क्राइम ब्रांच ने अगस्त में चेन लूट के आरोप में हितेश को पकड़ा था। उसने अकेले 22 चेन लूट की वारदातें कबूलीं। उससे सभी चेन बरामद हो गई। पूछताछ में पता चला कि हितेश को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कुछ दिन पहले एरोड्रम पुलिस ने भी पकड़ा था, पर लेन-देन कर छोड़ दिया। उसके बाद हितेश ने फिर वारदातें की थीं। एक सब इंस्पेक्टर सहित अन्य पुलिसकर्मियों पर 20 हजार रुपए लेने का आरोप लगा। अफसरों ने जांच का आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक सभी बचे हुए हैं।
&भ्रष्टाचार की किसी भी शिकायत पर गंभीरता से कार्रवाई करते हैं। विभिन्न मामलों में जांच की जा रही है। इन मामलों में भी कोई भी पुलिसकर्मी दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।
हरिनारायणाचारी मिश्रा, डीआईजी
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