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मूक बधिर केंद्र में हो रही गीता की देखरेख
गीता की देखरेख आनंद सर्विस सोसायटी द्वारा की जा रही है। इस मूक बधिर केंद्र में ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित गीता की देखरेख कर रही हैं। वो साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट भी हैं जो गीता से सांकेतिक भाषा में बात करते हैं इन्हीं के माध्यम से गीता के मां बाप की तलाश की जा रही है।
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पुलिस ने 4 घंटे गीता से बात की
गीता की घर वापसी कराने के लिए इंदौर पुलिस द्वारा अपनी ओर से प्रयास तेज कर दिए गए हैं। पुलिस अधीक्षक मुख्यालय सूरज वर्मा और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुख्यालय मनीषा पाठक सोनी ने ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित की मदद से गीता से लगभग 4 घंटे तक बातचीत की, ताकि उनके परिवार से जुड़े कुछ न कुछ संकेत प्राप्त कर सकें।बातचीत के दौरान गीता ने पुलिस को समझाया कि, उसके गांव के पास एक छोटा रेलवे स्टेशन है। गांव में देवी जी का मंदिर है, जिसके पास नदी या तालाब है। उसमें डुबकी लगाकर दर्शन के लिए जाते हैं। गीता ने कहा कि, हालांकि, वो मंदिर पहाड़ के ऊपर स्थित नहीं है।
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अगले क्रम में इस तरह होगी पड़ताल
गीता ने ये भी बताया कि, उसके घर के पास एक मैटरनिटी होम भी है। परिवार वाले धान की खेती करते हैं। गीता के मुताबिक, वो बचपन में गलती से भाप के इंजन वाली रेलगाड़ी में बैठ गई थी। बस इस तरह वो पाकिस्तान पहुंच गई। उसके घर में इडली-सांभर और डोसा बनता था। गीता अकसर दक्षिण भारतीय लोगों के तरीके से चावल खाती है और बचपन से ही काला धागा बांधती है। पिता पूजा पाठ करते समय धोती/लुंगी पहनते थे। गीता को तरह तरह के स्थानों के फोटो दिखाए गए। अब अगले क्रम में वीडियो कॉल से अलग अलग तरह के लोगों से गीता की संकेतों के ज़रिए बात कराई जाएगी।