इंदौर में 12वीं फेल देवेंद्र डाबर ने खुद का आयकर विभाग बना लिया था। 70-80 युवकों की भर्ती कर वह गिरोह को पिछले पांच सालों से चला रहा था। वह खुद को आयकर विभाग का मुख्य जांच अधिकारी बताता था। मोटी रकम लेकर वह अपने विभाग में युवकों की भर्ती करता था, फिर उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता। उसके बाद भारत सरकार के लोगो के साथ परिचय पत्र भी देता था।
युवकों को देता था ट्रेनिंग
बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के बाद वह उन्हें ट्रेनिंग देता था। शपथ पत्र में नौकरी करने वाले युवकों के लिए शर्त होती थी, जो विभाग की गोपनीयता भंग करेगा, उसे आयकर कानून के तहत 50 हजार रुपए का अर्थदंड और एक साल की सजा होगी। इस वजह से युवक डरकर रहते थे। आरोपी देवेंद्र डाबर ने आयकर विभाग की किताबें पढ़ी थीं, इसी के जरिए नौकरी पर रखने के बाद उन्हें ट्रेनिंग भी देता था।
बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के बाद वह उन्हें ट्रेनिंग देता था। शपथ पत्र में नौकरी करने वाले युवकों के लिए शर्त होती थी, जो विभाग की गोपनीयता भंग करेगा, उसे आयकर कानून के तहत 50 हजार रुपए का अर्थदंड और एक साल की सजा होगी। इस वजह से युवक डरकर रहते थे। आरोपी देवेंद्र डाबर ने आयकर विभाग की किताबें पढ़ी थीं, इसी के जरिए नौकरी पर रखने के बाद उन्हें ट्रेनिंग भी देता था।
कई शहरों में करवाए सर्वे
आरोपी ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को बताया है कि उसने कुक्षी, मनावर, खंडवा, देवास, खरगोन, अलीराजपुर, धार, झाबुआ, उदयनगर, बुरहानपुर में कई लोगों के घर जाकर सर्वे भी कराया। पुलिस को उसके ऑफिस से करीब 2 बोरे भरकर फाइल मिली हैं।
आरोपी ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को बताया है कि उसने कुक्षी, मनावर, खंडवा, देवास, खरगोन, अलीराजपुर, धार, झाबुआ, उदयनगर, बुरहानपुर में कई लोगों के घर जाकर सर्वे भी कराया। पुलिस को उसके ऑफिस से करीब 2 बोरे भरकर फाइल मिली हैं।
नौकरी के नाम पर करता ठगी
मंगलवार को इंदौर पुलिस ने सिलीकॉन सिटी के एक मकान में छापा मारकर इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया। एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र के मुताबिक, रिटायर्ड तहसीलदार के बेटे देवेंद्र डाबर ने विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर कई युवकों से 60-70 लाख रुपये ठगे हैं। वहीं, मुख्य आरोपी करीब 30 लोगों का सर्वे कराया था और वहां फर्जी रेड की तैयारी थी।
मंगलवार को इंदौर पुलिस ने सिलीकॉन सिटी के एक मकान में छापा मारकर इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया। एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र के मुताबिक, रिटायर्ड तहसीलदार के बेटे देवेंद्र डाबर ने विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर कई युवकों से 60-70 लाख रुपये ठगे हैं। वहीं, मुख्य आरोपी करीब 30 लोगों का सर्वे कराया था और वहां फर्जी रेड की तैयारी थी।
ऐसे खुली पोल
देवेंद्र ने टीम में शुभम नामक युवक को 25 हजार लेकर नौकरी दी। शुभम को फील्ड अफसर का पद मिला था, लेकिन वेतन एक बार ही मिला। इससे नाराज होकर शुभम ने देवेंद्र का साथ छोड़ दिया। शुभम ने शक होने पर पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने मुख्य आरोपी देवेंद्र के साथ सुनील मण्डलोई, रवि सोलंकी, दुर्गेश गेहलोत और सतीश गावडे है।
देवेंद्र ने टीम में शुभम नामक युवक को 25 हजार लेकर नौकरी दी। शुभम को फील्ड अफसर का पद मिला था, लेकिन वेतन एक बार ही मिला। इससे नाराज होकर शुभम ने देवेंद्र का साथ छोड़ दिया। शुभम ने शक होने पर पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने मुख्य आरोपी देवेंद्र के साथ सुनील मण्डलोई, रवि सोलंकी, दुर्गेश गेहलोत और सतीश गावडे है।
ऑफिस में करता था झंडोत्तोलन
आरोपी राष्ट्रीय त्योहार पर ऑफिस में झंडोत्तोलन करता था, ताकि टीम में शामिल उसके साथियों को शक न हो। कई बार वह उन्हें लेकर आयकर विभाग के दफ्तर भी गया। अपने सहयोगियों को कार्यालय से बाहर खड़ा कर खुद अंदर चला जाता था, जिससे साथियों को शक न हो सके।
आरोपी राष्ट्रीय त्योहार पर ऑफिस में झंडोत्तोलन करता था, ताकि टीम में शामिल उसके साथियों को शक न हो। कई बार वह उन्हें लेकर आयकर विभाग के दफ्तर भी गया। अपने सहयोगियों को कार्यालय से बाहर खड़ा कर खुद अंदर चला जाता था, जिससे साथियों को शक न हो सके।