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बजट तो है, पर निगम खर्च नहीं करता

locationइंदौरPublished: Jun 06, 2018 07:30:01 pm

Submitted by:

amit mandloi

तालाबों की बदहाली

Indore News

बजट तो है, पर निगम खर्च नहीं करता

पत्रिका.
इंदौर. शहर के तालाबों के नाम रखने की जल्दबाजी दिखाने वाला नगर निगम तालाबों को बचाने के लिए कितना सक्रिय है, ये उसका बजट बयां कर रहा है। निगम हर साल ३२ करोड़ तालाबों के सौंदर्यीकरण, गहरा करने, पाल बनाने, गंदा पानी रोकने आदि के लिए रखता है, पर इसका 10 फीसदी भी खर्च नहीं कर पाता।
निगम सीमा में 29 गांव शामिल होने के बाद शहर में तालाबों की संख्या तो बढ़ी, पर ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों की स्थिति सुधरने के बजाए और बिगड़ गई। तालाबों की जमीन पर जहां कब्जे हो रहे हैं, वहीं पानी आने का रास्ता भी बंद किया जा रहा है। बजट में इस मद में पैसा होने के बाद भी निगम इसका उपयोग नहीं कर रहा। सबसे ज्यादा पैसा तालाबों के गहरीकरण, पाल बनाने में होता है, लेकिन पिछले ३ साल से निगम इसे जनता के सहयोग से कर रहा है। इसमें मिट्टी खोदने का काम भी किसान कर रहे हैं और निकलने वाली मिट्टी का तालाब की पाल को मजबूत करने के लिए उस पर डाले जा रहे हैं। इस काम में लगने वाले 30 करोड़ से ज्यादा की राशि को जनता ही निगम को बचा कर दे रही है।
तालाबों के सीमांकन से बच रहा प्रशासन, घटता जा रहा दायरा
इंदौर शहर के भूमिगत जलापूॢत के मुख्य साधन शहर के तालाब लगातार बदहाली और कब्जे के शिकार हो रहे हैं, जिसके लिए काफी हद तक जिला प्रशासन भी जिम्मेदार है। सीमांकन नहीं करने से तालाबों की जमीन लगातार कम होती जा रही है।
तालाबों की जमीन सूखने के दौरान उस पर कब्जे की शिकायतें बढ़ जाती हैं। शहर के तालाबों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर दूसरों के कब्जे हैं। नगर निगम जलकार्य समिति के प्रभारी बलराम वर्मा ने 5 नवंबर २०१५ को कलेक्टर को पत्र लिख इंदौर के 18 बड़े तालाबों का सीमांकन करने का निवेदन किया था, ताकि तालाबों को विकसित करने की योजनाएं बना सकें। इसके बाद तालाबों के सीमांकन के लिए 10 नवंबर को जिला प्रशासन से आदेश जारी हुआ, जिसमें १८ टीमें बनाकर भू अभिलेख के अधिकारियों को शामिल किया गया, लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट आज तक नगर निगम को नहीं मिल पाई है।
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