विशेषज्ञों का कहना है, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों आबोहवा में बारीक कणों के मानकों में बदलाव करते हुए पीएम-2.5 को 25 माइक्रो ग्राम कर दिया है। ऐसे में इसकी वर्तमान मात्रा 40-60 माइक्रो ग्राम भी लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी। आबो हवा में सुधार के मिशन को कमजोर करेगी। इसके बिना एक्यूआइ का मापन तो पूरे प्रोजेक्ट को संदेह के घेरे में लाएगा। अफसर इस कारस्थानी के लिए साइट मेंटेनेंस का तर्क दे रहे हैं, यदि ऐसा होता तो प्रदेश के अन्य शहरों भोपाल, ग्वालियर व जबलपुर में इसका मापन दर्ज नहीं हो रहा होता। वहां हर घंटे की निगरानी हो रही है। डाटा इंट्री भी चल रही है। जबकि, इंदौर का डिस्प्ले खाली दिखा रहा है।
मामला मेरे संज्ञान में नहीं है मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि ऐसा हो रहा है तो जल्द इसे चालू करवाएंगे। यह ठीक नहीं है। - एसएन द्विवेदी, प्रमुख, क्षेत्रीय प्रदूषण विभाग