संस्थापक डॉ. राज पढिय़ार के मुताबिक 50 मिलियन डॉलर की वैल्यूएशन वाले इस स्टार्टअप की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर करीब 5 मिलियन डॉलर (करीब 34.51 करोड़ रुपए) जुटाए जाएंगे। इस राशि का इस्तेमाल ग्लोबल ऑनलाइन टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म का विकास करने और सुविधाएं बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
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मुंबई के रहने वाले राज ने डिजिटल गुरुकुल की शुरुआत के लिए इंदौर को चुना। उन्होंने बताया, 2012 तक आम आदमी के जीवन में डिजिटलाइजेशन का इतना प्रभाव नहीं था लेकिन आज समय बदल चुका है। अब तो आने वाला समय इसी का है। राज कहते हैं, कॉलेज के दिनों से ही मैं डिजिटल एक्टिविटी हैंडल करता था। कॉलेज के बाद मैंने इसी फिल्ड में कॅरियर बनाने के लिए ट्रेनिंग ली और रिसर्च करता रहा।
इंदौर में मुंबई से अधिक संभावना
राज ने बताया, नए स्टार्टअप के लिए इंदौर में अच्छी संभावनाएं हैं, इसलिए मैंने मुंबई की जगह इंदौर चुनकर करीब साढ़े तीन साल पहले डिजिटल गुरुकुल की स्थापना की। 5850 स्टूडेंट, प्रोफेशनल्स और इंटरप्रेन्योर्स को ट्रेनिंग दे चुके हैं। हमें 15 से ज्यादा नेशनल, इंटरनेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं।
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10 लाख रुपए से की थी शुरुआत
डॉ. पढिय़ार कहते हैं, उन्होंने डिजिटल गुरुकुल के लिए 10 लाख रुपए इन्वेस्ट किए थे। चुनौतियां आने पर बार लगा इंस्टिट्यूट बंद कर लौट जाऊं, फिर शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू किए। हमारे 90 फीसदी स्टूडेंट इंदौर से बाहर के हैं। अब हमने एशिया की सबसे बड़ी डिजिटल कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है।