देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों एम्स, दिल्ली और जेआदपीएमईआर, पांडिचेरी जैसे कॉलेजों से देश के 35 प्रमुख मेडिकल कॉलेजों को जोड़कर शिक्षा के आदान-प्रदान और टेली मेडिसिन विधा से जोड़ा जाना था। उक्त कॉलेजों में मप्र से एकमात्र एमजीएम मेडिकल कॉलेज को भी शामिल किया था। प्रमुख डॉक्टरों की एक टीम ने फरवरी 2019 में इसके मानकों का आकलन करने के लिए कॉलेज का दौरा भी किया था। पूर्व डीन डॉ. एमके राठौर ने परियोजना को लेकर नई दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों को प्रेजेंटेशन भी दिया था। इसके बाद भी जबलपुर कॉलेज का चयन कर लिया गया।
पहले से ही मौजूद है संसाधन
टेली मेडिसिन सुविधा चलाने के लिए हाई स्पीड इंटरनेट की आवश्यकता होती है, जो एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पास पहले से ही मौजूद है। इसके अलावा प्रोजेक्टर और अन्य उपकरणों की जरूरत है होती है, जो दो वर्ष पूर्व ही ऑडिटोरियम के नवीनीकरण के दौरान स्थापित किए जा चुके हैं।
यह थी योजना
केंद्र सरकार की योजना टेली मेडिसिन सहित ई-स्वास्थ्य के तहत ग्रीन फील्ड परियोजना के हिस्से के रूप में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने चरणबद्ध तरीके से सभी मेडिकल कॉलेजों में टेली मेडिसिन इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की योजना बनाई थी।
होती नॉलेज शेयरिंग
इस परियोजना में टेली एजुकेशन की सुविधा प्रदान होगी, जिसमें नॉलेज शेयरिंग, टेली-सीएमई, सर्जिकल और इंटरवेंशनल स्किल्स को साझा करना, वर्चुअल क्लास रूम, क्षमता निर्माण और विशेषज्ञ परामर्श तक शामिल था। डॉक्टरों में बुनायदी कौशल के विकास के साथ मानव संसाधन की कमी को भी इस योजना से दूर किया जा सकेगा।
मरीजों को मिलता फायदा
टेली मेेडिसिन योजना में एम्स दिल्ली को नोडल संस्था बनाया गया था। टेली मेडिसिन के माध्यम से इंदौर के मरीजों को उपचार सुविधा मिल सकती थी। फिलहाल उक्त योजना में जबलपुर को शामिल कर इंदौर को हटा दिया गया है। – डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज