इंदौर. भाई-बहन के निश्चल प्रेम और समर्पण की मिसाल कायम कर एक बहन ने रेशम की डोर के बंधन को गौरवान्वित कर दिया। रक्षाबंधन से चार दिन पहले किडनी देकर पुष्पा ने भाई को नया जीवन दिया। खंडवा निवासी मुकेश राठौर 2012 से बीमार थे। बुखार-चक्कर से परेशान रहते थे। बड़े भाई दिनेश उन्हें लेकर बॉम्बे हॉस्पिटल पहुंचे। जांच में पता चला मुकेश की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं। किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश भराणी ने प्रत्यारोपण न होने तक नियमित डायलिसिस की सलाह दी। डोनर की तलाश हुई तो बड़ी बहन पुष्पा ने स्वेच्छा से किडनी देने का निर्णय लिया।
बहन ने निभाया फर्ज
पुष्पा के फैसले को पति परमानंद राठौर ने और मजबूती दी। 25 अगस्त को पुष्पा की किडनी मुकेश को प्रत्यारोपित की गई। दोनों को ऑपरेशन थिएटर में साथ जाता देख परिवार इस बंधन पर गौरवान्वित था। फिलहाल दोनों डॉक्टरों की देखरेख में हंै।
मेरा जीवन बहन का
भाई बहन की रक्षा का वचन देता है, लेकिन मेरी बहन ने अपनी जान दांव पर लगाकर मेरी जिंदगी बचाई है। मैं उसका यह कर्ज जीवनभर नहीं उतार पाऊंगा। अब मेरे जीवन पर मेरी बहन का अधिकार है।
– मुकेश राठौर, भाई
मुझे पत्नी पर गर्व है
मुझे पत्नी के फैसले पर गर्व है। राहत इस बात की है कि मेरे दोनों बच्चों ने भी इसके लिए खुशी जाहिर की है। मेरे परिवार के अलावा पुष्पा का एक परिवार और भी है जिसके प्रति उसने अपना कर्तव्य पूरा किया।
परमानंद राठौर, पुष्पा के पति
चुनौती था ऑपरेशन
एक घंटे में किडनी एक से दूसरे शरीर में प्रत्यारोपित करना चुनौती थी, जिसे डॉक्टरों की टीम ने बखूबी कर दिखाया।
– डॉ. राजेश भराणी, नेफ्रोलॉजिस्ट