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विरासत में मुस्कुराता इंदौर का गौरव

locationइंदौरPublished: May 31, 2023 10:59:21 pm

होलकरकाल से लेकर स्मार्ट सिटी बनने तक शहर ने देखें कई उतार-चढ़ाव

विरासत में मुस्कुराता इंदौर का गौरव
इंदौर. होलकर शासनकाल से लेकर स्मार्ट सिटी बनने तक इंदौर ने कई उतार-चढ़ाव देखें, खूब विकास हुआ। जहां आधुनिक संसाधनों से बनी सडक़ें-पुल, पुलिया हैं। होलकर काल की विरासतें भी इसका सबूत हैं कि शुरू से ही इंदौर की खूबियां उसका गौरव हंै। इंदौर गौरव दिवस के मौके पर जानना जरूरी है कि जब मशीनों से नहीं हाथों से काम होता था, तब बनाई गई कृष्णपुरा की छत्रियां व बोलिया सरकार की छत्री वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण हैं। आकर्षक कला से सुसज्जित छत्रियां पुराने जमाने की याद दिलाती हैं। इन्हीं से शुरू होता है इंदौर का गौरव…।
बोलिया छत्री
वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण…महज 2 लाख में अद्भुत कारीगरी का नमूना
य शवंतराव (प्रथम) की द्वितीय पत्नी लाडाबाई की पुत्री भीमाबाई का विवाह गोविंदराव बुले (बोलिया) के साथ हुआ था। महिदपुर युद्ध में गोविंदराव शहीद हुए तो भीमाबाई ने चिमणाजी को गोद लिया। चिमणाजी के निधन के बाद बोलिया सरकार की छत्री 1858 में 2 लाख में बनवाई गई। यह छत्री कारीगरी का बेमिसाल नमूना है। छत्री में 24 स्तंभ हैं। गर्भगृह के हर कोने पर 4 स्तंभ हैं। सरदार बोलिया की प्रतिमा गर्भगृह में उनकी पत्नियों के साथ है। शिवलिंग केंद्र में है और उसके सामने दक्षिणमुखी नंदी है। मुगल स्थापत्य कला के मेहराबदार शिखर है। विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजाते हुए नर्तकियों और महिलाओं के चित्र हैं। पूरी छतरी पर अंकित प्रतीक मराठा शैली में हैं।
कृष्णपुरा छत्रियां…
बंदूकधारी द्वारपाल और बासुंरी बजाते कृष्ण की कलाकृति करती हैं आकर्षित
म राठा, राजपूत और मुगल शैली में बनी कृष्णपुरा छत्रियां शहर की धरोहर है। कान्ह-सरवस्ती के संगम किनारे बनी तीन छत्रियों में सबसे पहली छत्री राजमाता कृष्णाबाई होलकर की है, जो 1849 में उनके निधन के बाद महाराज तुकोजीराव होलकर द्वितीय ने बनवाई थी। इसके बाद 1886 में तुकोजीराव होलकर तृतीय व 1908 में शिवाजीराव होलकर के दहन स्थल पर उनकी छत्री बनाई गई। प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति है। छत्री की दीवारों और खंभों पर दंडधारी द्वारपाल, बंसी बजाते हुए श्रीकृष्ण, गायें-हाथी उकेरे गए है। बंदूकधारी द्वारपाल भी मराठा शैली मेें हैं। गर्भगृह की बाहरी दीवार पर अर्धनारीश्वर, विष्णु और महालक्ष्मी के दर्शन होते हैं। हिरण्य कश्यप का वध करते भगवान नृसिंह भी हैं। स्मार्ट सिटी ने १.६८ करोड़में यहां डायनामिक लाइट लगाई है, जो शाम होते ही आर्कषक रोशनी करती है।
ये हैं इंदौर के गौरव
पद्म भूषण कर्नल सीके नायडू (1956) होलकर राजाओं की खेल टीम में शामिल रहे।
पद्म भूषण गोकुलोत्सव महाराज (2015) कला के क्षेत्र में ख्याति दिलाई।
पद्म भूषण सुमित्रा महाजन (ताई) (2021) लोकसभा अध्यक्ष रहीं।
पद्मश्री शालिनी ताई मोघे (1968) बाल शिक्षा में विशेष प्रयोग किया।
पद्मश्री कुट्टी मेनन (1991) पर्यावरण व सामाजिक शिक्षा में कार्य।
पद्मश्री बाबूलाल पाटौदी (1991) सामाजिक कार्य व शिक्षा में पहचान।
पद्मश्री जेएस महाशब्दे (1992) नेत्र चिकित्सा में ख्याति दिलाई।
पद्मश्री डीडी भवालकर (2000) कैट निदेशक रहे। लेजर साइंस में नाम किया।
पद्मश्री अभय छजलानी (2009) साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में पहचान।
पद्मश्री जनक पलटा मिगिलिगन (2015) सौर ऊर्जा व ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने में अग्रणी रहीं।
पद्मश्री सुशील दोषी (2016) क्रिकेट मैच की कामेंट्री के लिए ख्यात।
पद्मश्री भालू मोंढे (2016) आर्ट, पर्यावरण, सिरपुर में प्रवासी पक्षियों के लिए डेरा बनवाया।
पद्मश्री डॉ. भक्ति यादव (2017) गायनोकोलाजिस्ट, महिलाओं के बीच लोकप्रिय।
पद्मश्री डॉ. पीएस हार्डिया (2019) नेत्र चिकित्सा, विशेषकर मोतियांङ्क्षबद सर्जरी में पहचान।
पद्मश्री पुरू दाधिच (2020) कला व नृत्यशास्त्र में ख्याति दिलाई।
पद्मश्री नेमिनाथ जैन (2020) शिक्षा और समाजकार्य में प्रसिद्धि पाई।
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