script

ऐसी है हमारी पुलिस, चक्कर लगाते लगाते पीडि़त जान देने का प्रयास करें तब होती है कार्रवाई

locationइंदौरPublished: Oct 09, 2019 09:01:34 pm

जारी है पुलिस की मनमानी, आम लोगों की नहीं सुनती पुलिस, जान देने के बाद होते है सिर्फ लाइन अटैच

ऐसी है हमारी पुलिस, चक्कर लगाते लगाते पीडि़त जान देने का प्रयास करें तब होती है कार्रवाई

ऐसी है हमारी पुलिस, चक्कर लगाते लगाते पीडि़त जान देने का प्रयास करें तब होती है कार्रवाई

IndoreNews. ऐसी है हमारी पुलिस, आम व्यक्ति अपने साथ हुए अपराध के बाद मदद की गुहार लेकर थाने जाता है तो उसे भगा दिया जाता है। जनसुनवाई में पहुंचों तो अफसर फिर थाने भेज देते है। कहीं शिकायत की नजरंदाजी तो कभी सांठगांठ का ऐसा असर रहता है कि पीडि़त चक्कर ही लगाता रह जाता है। शिकायत पर कोई ध्यान नहीं देता तो पीडि़त के पास खुद की जान देने के अलावा कोई चारा नहींं होता है। जान देेने अथवा खुद को नुकसान पहुंचाने पर भी सिर्फ होती है लाइन अटैच की कार्रवाई।
इस बार तो विभाग का पूर्व सिपाही योगेश ही पुलिस से परेशान होकर जान देने की कोशिश कर चुका है और अस्पताल में भर्ती है। अफसरों ने उसके आत्मदाह के मामले में फिर एसआई व सिपाही को लाइन अटैच कर अपने कत्र्तव्य पूरे कर लिए।
– कंट्रोल रूम के सामने तीन साल पहले नवंबर महीने में इसी तरह काटन ब्रोकर रवींद्र जोशी ने खुद को जला लिया था। धोखाधड़ी के मामले मेें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की जिससे परेशान होकर खुद को जलाया। इलाज के दौरान मौत हुई लेकिन किसी पर भी कार्रवाई नहीं हुई। एक सिपाही को जरुर हटाया था।
– एक मामला नवंबर 2016 में सामने आया जिसमें द्वारकापुरी में रामरति बाई ने पड़ोसी पप्पू से परेशान होकर फांसी लगाई थी। पप्पू पर 5-6 अपराध पूर्व के दर्ज थे। फोन पर महिला को उसने धमकी दी, शिकायत लेकर थाने पहुंची तो पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। महिला ने फांसी लगा ली तो पुलिस ने दो सिपाहियों को लाइन अटैच किया। महिला की मौत के बाद आरोपी व उसकी पत्नी को केस दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया।
– डेढ़ साल पहले जून 2018 में द्वारकापुरी में ही एक युवती ने फिर पुलिस से परेशान होकर जान दी। युवती को कॉलोनी में रहने वाले युवक परेशान कर रहा था। उसका परिवार भी धमका रहा था। एक नहीं 2-3 बार द्वारकापुरी थाने मदद के लिए गई लेकिन कर्मचारियों ने भगा दिया। परेशान किशोरी ने फांसी लगा ली जिस पर तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच किया। हाल ही में तीनों को बर्खास्त भी कर दिया है लेकिन इसका भी विभाग पर कोई असर नहीं दिख रहा।
सांठगांठ का ऐसा खेल, बदमाश के कब्जे की शिकायतें दबा दी, प्लाट पर कब्जा कराने भी पहुंच गए थे साहब
आम लोगों की पुलिस थानों पर सुनवाई नहीं होती लेकिन बदमाश व रसूखदार टीआई, सीएसपी के साथ बैठकर अपने हिसाब से फाइल चलाते है। पिछले दिनों ऐेसा ही मामला विजयनगर थाने में सामने आया। बदमाश मुख्तियार को पकड़ा तो पता चला कि उसके खिलाफ तो दो साल से शिकायतें है। राधिकाकुंज में वह 20 से ज्यादा कीमती प्लाटों पर कब्जा कर लाखों रुपए किराया कमा रहा था। शिकायत पर पुलिस के साथ बैठकर ही वह पीडि़तोंं को भगा देता था। एक बार तो सीएसपी प्लाट पर कब्जा कराने के लिए मौके पर भी पहुंच गए थे। मामला उजागर हुआ तो एसआई को थाने से हटाकर अफसर चुप बैठ गए।

ट्रेंडिंग वीडियो