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प्रक्रिया में अटके कॉलोनियों के बड़े नक्शे

locationइंदौरPublished: May 27, 2023 07:03:14 pm

अप्रेल-मई में पंजीयन कार्यालयों में हो रही भीड़ व राजस्व दे रहा ग्रोथ के संकेत

प्रक्रिया में अटके कॉलोनियों के बड़े नक्शे
इंदौर. शहर का मास्टर प्लान कब बनेगा, तय नहीं है? इसके बनने की प्रक्रिया से पहले रियल एस्टेट कारोबार निवेश क्षेत्र में शामिल किए गए 79 गांवों में नियम कानून के पालन में अफसरी झगड़ों में उलझ गया है। 500 से 800 एकड़ के प्रोजेक्ट मंजूर हैं, इतने के ही नए आवेदन हैं।
मंजूर प्रोजेक्ट ईडब्ल्यूएस आश्रय निधि की गफलत में उलझे और नए धारा-16 की 10 एकड़ और 40 फीट चौड़ी सडक़ की शर्त में उलझ गए। 10 से ज्यादा के तो भोपाल में मंजूर हो रहे हैं, लेकिन छोटे प्रोजेक्ट की अनुमति के लिए सरकार, विभाग प्रक्रिया ही तय नहीं कर पा रहा है। इन दिनों में इंदौर में प्रॉपर्टी की डिमांड बनी हुई है। शहर के आसपास नए प्रोजेक्ट नहीं आने से प्रॉपर्टी का शार्टेज है। पुराने प्रोजेक्ट में माल नहीं होने से आम आदमी को महंगी प्रॉपर्टी खरीदना पड़ रही है।
सारा मामला अनुमति, प्रक्रिया व मास्टर प्लान के नियमों में उलझ कर रह गया है। इंदौर में देखें तो नए पुराने सभी मिलाकर 1200 से 1500 एकड़ के प्रोजेक्ट की फाइलें अफसरों की टेबलों पर धूल खा रही हैं। संयुक्त संचालक टीएनसीपी एसके मुद्गल का कहना है कि आवेदन भोपाल भेजे जा रहे हैं, जहां से स्वीकृति मिल रही है। वहीं, टीम क्रेडाई का कहना है, मास्टर प्लान बनने में तो समय लगेगा। सरकार प्रक्रिया तय कर दें, जिससे प्रोजेक्ट विकसित हो सकें और प्रॉपर्टी की उपलब्धता बनी रहें।
जनता पर असर
सरकारी नीतियों में असमंजस से लोगों को महंगी मिल रही प्रॉपर्टी
यह है मामला
79 गांव में धारा-16 लागू करने
व ईडब्ल्यूएस के लिए संशोधित नक्शों का
यह है हकीकत
हकीकत यह है कि 10 एकड़ से कम के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए प्रक्रिया तय ही नहीं है। इससे बड़े प्रोजेक्ट भोपाल से अफसरों की खानापूर्ति की मांग में अटके हुए हैं। आवेदन मीङ्क्षटग में तो रखे जाते हैं पर मंजूर नहीं हो रहे।
प्रॉपर्टी की मांग बढ़ी
दूसरी ओर प्रॉपर्टी की मांग लगातार बढ़ रही है। इसकी पुष्टि रजिस्ट्रार ऑफिस के आंकड़े कर रहे हैं। सामान्य तौर पर अप्रेल-मई में कम ही राजस्व मिलता है। वर्तमान में अप्रेल में 131 करोड़ का राजस्व मिला है, यह पिछले साल से 10त्न ज्यादा है।
ईडब्ल्यूएस पर निर्णय नहीं
मास्टर प्लान लागू होने से पहले की 500 से 800 एकड़ की कॉलोनियां ईडब्ल्यूएस के लिए आश्रय निधि के नियम में अटक कर रह गई हैं। सारा मामला नक्शा संशोधन के लिए पड़ा हुआ है। पीएस ने आदेश जारी कर कहा कि इंदौर ऑफिस करे, लेकिन डायरेक्टर ने आपत्ति ले ली। इसके बाद 10 एकड़ से बड़े केस तो भोपाल में हो रहे हैं। इससे छोटे के लिए कॉलोनाइजर सरकार व अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं। डेवलपर्स का कहना है, अफसरों की गलती और अदूरदर्शिता का शिकार शहर का रियल एस्टेट कारोबार हो रहा है।
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