यहां हम बात कर रहे हैं शहर की प्रतिभा खंडेलवाल की, जिनकी 11 साल पहले दोनों किडनी खराब हो गई थी। उपचार के बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ तो पति जितिन ने अपनी एक किडनी प्रतिभा को दी। किडनी ट्रांसप्लांट हुए कई साल हो चुके हैं और दोनों सामान्य जीवन जी रहे हैं। सामान्य तौर पर लोग किडनी रोड को बहुत गंभीर मानकर निराश हो जाते हैं, बार-बार डायलिसिस, पीड़ादायक इलाज से घबराते हैं, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। किडनी का रोग साध्य है और इसे जीवटता से भी हराया जा सकता है।
60 लोगों की कर चुकी काउंसलिंग
प्रतिभा हर किडनी मरीज से मिलती हैं और उनकी बीमार का स्वरूप समझकर उन्हें मार्गदर्शन देती हैं। सबको उनकी सिर्फ एक ही सलाह होती है कि ये बीमारी असाध्य नहीं, आसानी से इलाज होता है और मरीज स्वस्थ भी हो जाता है। खुद का उदाहरण भी बताती हैं। अब तक ऐसे 60 किडनी मरीजों की वे मदद कर चुकी हैं। बीमारी से परेशान लोग उनसे मिलने के बाद खुशी-खुशी जीवन जीने को राजी हो जाते हैं।
प्रतिभा हर किडनी मरीज से मिलती हैं और उनकी बीमार का स्वरूप समझकर उन्हें मार्गदर्शन देती हैं। सबको उनकी सिर्फ एक ही सलाह होती है कि ये बीमारी असाध्य नहीं, आसानी से इलाज होता है और मरीज स्वस्थ भी हो जाता है। खुद का उदाहरण भी बताती हैं। अब तक ऐसे 60 किडनी मरीजों की वे मदद कर चुकी हैं। बीमारी से परेशान लोग उनसे मिलने के बाद खुशी-खुशी जीवन जीने को राजी हो जाते हैं।
एेसे करती हैं मदद
– जो लोग नियमित रूप से डायलिसिस करवाते हैं और आर्थिक रूप से अक्षम हैं, उनके इलाज में आर्थिक मदद करवाती हैं।
– जिन रोगियों को ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, उनके परिजन की काउंसलिंग करती हैं, ताकि कोई भी सदस्य एक किडनी देने को राजी हो जाए।
– किडनी ट्रांसप्लांट में होने वाले खर्च के लिए सरकार की सहायता के लिए पहल करती हैं। खुद सरकारी दफ्तर जाकर प्रक्रिया पूरी करवाती हैं।
– अगर कोई किडनी देने को तैयार हो जाता है तो नियमानुसार सरकार से अनुमति दिलवाने का काम भी करती हैं।
– कई बार लोग डॉक्टर के इलाज से संतुष्ट नहीं होते। उन्हें अच्छे डॉक्टर्स के पास ले जाने और सही अस्पताल में उपचार करवाने में भी सहायता करती हैं।
– डायलिसिस के लिए शहर में कई संस्थाएं काम कर रही हैं। कुछ अस्पतालों में सस्ती दरों पर ये सुविधा उपलब्ध है। वे मरीजों को ऐसे केंद्रों व संस्थाओं से मिलवाने को तत्पर रहती हैं।
– जो लोग नियमित रूप से डायलिसिस करवाते हैं और आर्थिक रूप से अक्षम हैं, उनके इलाज में आर्थिक मदद करवाती हैं।
– जिन रोगियों को ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, उनके परिजन की काउंसलिंग करती हैं, ताकि कोई भी सदस्य एक किडनी देने को राजी हो जाए।
– किडनी ट्रांसप्लांट में होने वाले खर्च के लिए सरकार की सहायता के लिए पहल करती हैं। खुद सरकारी दफ्तर जाकर प्रक्रिया पूरी करवाती हैं।
– अगर कोई किडनी देने को तैयार हो जाता है तो नियमानुसार सरकार से अनुमति दिलवाने का काम भी करती हैं।
– कई बार लोग डॉक्टर के इलाज से संतुष्ट नहीं होते। उन्हें अच्छे डॉक्टर्स के पास ले जाने और सही अस्पताल में उपचार करवाने में भी सहायता करती हैं।
– डायलिसिस के लिए शहर में कई संस्थाएं काम कर रही हैं। कुछ अस्पतालों में सस्ती दरों पर ये सुविधा उपलब्ध है। वे मरीजों को ऐसे केंद्रों व संस्थाओं से मिलवाने को तत्पर रहती हैं।