साइबर सेल ने जिन आरोपियों को पकड़ा वे अधिकांश नागालैंड, मेघालय, मुंबई, अहमदाबाद और पंजाब के रहने वाले है। इन्हें जावेद व राहिल ने यहां लाकर पिनेकल ड्रीम्स व श्रीराम पैलेस कॉलोनी में कमरे दिला रखे है। $कॉल करने वाले को 22 हजार रुपए महीना वेतन मिलता था। साथ ही भोजन, रहना फ्री। इसके अलावा ठगी के एक ड़ॉलर की कमाई होने पर 1 रुपए का इंसेट्व्हि भी मिलता था। पूछताछ में पता चला कि आरोपियों के पास करीब 10 लाख अमरीकियों का डाटा बैस उपलब्ध है। पहले वे वेबसाइट से डाटा बैस मिलने की बात कह रहे थे लेकिन बाद में पता चला कि कुछ वैंडरों के जरिए नंबर हासिल किए। नंबरों पर अमरीका की सोशल सिक्यूरिटी एंड एंडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (विजिलेंस एजेंसी) के नाम से सोशल मीडिया के जरिए मैसेज भेजते। अमरीकी एसेंट्स में यह मैसेज होता जिसमें कहा जाता कि संबंधित व्यक्ति की ड्रग डिलिंग, ट्रैफकिंग व मनी लाड्रिंग में लिप्तता सामने आई है। सोशल सिक्यूरिटी नंबर बंद किया जा सकता है। हेल्प लाइन नंबर पर फोन करें। मैसेज में एक हेल्पलाइन नंबर रहता था।
जावेद से पूछताछ में पता चला कि उनकी रोज की आय करीब 3000 हजार से 5000 हजार डॉलर होती थी, यानी महीने का टर्न ओवर करीब एक करोड़ से अधिक। खर्च निकालने के बाद इनके पास करीब 50 लाख रुपए बच जाते थे। आरोपियों ने कमाई के जरिए संपत्ति खरीदी। इंदौर में किसी के साथ पार्टनरशिप में पब खोलने की बात भी सामने आई है जिसके संबंध में पूछताछ की जा रही है। आरोपियों के आफिस से 60 कम्प्यूटर, 70 मोबाइल, विभिन्न गजेंट्स, 5 लाख डाटाबैस जब्त हुआ है। आरोपियों ने 35 हजार महीना किराए पर भवन लिया था।