जावेद से पूछताछ में पता चला कि उसने करीब 5 साल पहले अहमदाबाद में कॉल सेंटर पर काम किया था। वहां उसने खुद का काम शुरू किया तो 30 लाख का घाटा हो गया। प्रापर्टी ब्रोकर पिता का मकान बेचकर कर्ज चुकाना पड़ा। फिर उसने पूना जाकर नए सिरे से काम शुरू किया तो कमाई होने लगी। जुलाई 2018 में इंदौर आया और राहिल के साथ काम शुरू किया फिर अन्य लोगों को जोड़ लिया था। आरोपी ने बताया कि निजी एजेंसी से इंटरनेट की लीज लाइन ली थी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जिस पर लीज लाइन देने वाली कंपनी को भी पुलिस नोटिस दे रही है। जावेद कॉल सेंटर के भवन का 70 हजार रुपए किराया देता था। कर्मचारियों के लिए श्रीराम एन्क्लेव में 4 फ्लैट 30-30 हजार व इतने ही फ्लैट पिनेकल ड्रीम्स में भी किराए पर लिए थे। दोपहर के भोजन के एवज में 2500 रुपए अदा करता था, रात का भोजन ऑफिस में ही देता था। इसके अलावा भी ये लोग काफी पैसा खर्च करते थे। पुलिस ने दबिश डाली तो राहिल कर्मचारियों के वेतन की व्यवस्था करने गया था, बाद मेें लौटा नहीं। आरोपी से पता चला कि करीब एक दर्जन वैंडर है जो अमरीकियों के डाटा ठगी के लिए उपलब्ध कराते है। इनका टारगेट सीनियर सिटीजन ज्यादा होते थे। वैंडर की जांच की तो यह बात सामने आइ कि उन्होंने वाट्सऐप ग्रुप बना रखे है। रहते भारत में है लेकिन नंबर अमरीका का इस्तेमाल करते है।
व्यवसायिक बिल्डिंग का ऑफिस चालू था जिससे लगता है कि पुलिस आने के कुछ देर पहले ही छापे की भनक लगने से सभी फरार हो गए। हालांकि यहां से कुछ जब्त नहीं हुआ। साइबर सेल का कहना है कि सन्नी के साथ ही हार्दिक, केवल, मिनेश व सिद्धार्थ को भी आरोपी बनाया जा रहा है। जावेद के कॉल सेंटर से काफी सामान गुरुवार को साइबर सेल ने जब्त किया।