उक्त जानकारी साहित्य समागम की चेयर पर्सन पद्मा राजेंद्र, साहित्य सम्मेलन की सचिव ज्योति जैन व मीनल पाटीदार ने दी। उन्होंने बताया कि देश का एकमात्र यह अंतरराष्ट्रीय महिला साहित्य समागम है। उन्होंने बताया कि समागम में देश की जानी-मानी व्यंग्यकार सूर्यबाला, राजकुमारी गौतम (बेल्जियम), शार्दुला नोगजा ( ङ्क्षसगापुर), प्रभा कटियार (देहरादून), मनीषा कुलश्रेष्ठ (जयपुर), जया सरकार (पुणे), क्षमा कौल (ज्मू-कश्मीर), समीक्षा तेलंग( पुणे), कोपल जैन (बैंगलुरु), कांता राय (भोपाल), अंजली चिंतामणि (मॉरीशस), रीना मेनारिया (उदयपुर), नूतन पांडे (केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली), श्वेता दीप्ति (नेपाल) व डॉ. अनुपमा जैन संयुक्त संघ व अखिल भारतीय शाह बेहराम बग सोसायटी (मुंबई) की एडिशनल रिप्रेजेंटेटिव भी इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं, जो विभिन्न सत्रों में विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखेंगीं।
पुरुष सत्र भी होगा उन्होंने बताया कि इस बार विशेष रूप से एक पुरुष सत्र भी रखा जाएगा, जिसमें डॉ. दीपक पांडेय (सहायक निदेशक केंद्रीय ङ्क्षहदी सचिवालय दिल्ली), डॉ. रामा तक्षक (नीदरलैंड), डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र (वर्धा) विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। विषय- स्त्री लेखन पुरुषों की दृष्टि से रहेगा।
कंचन सिंह को सम्मान हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक ऐसी साहित्यकार को अहिल्या शक्ति सम्मान प्रदान किया जाएगा, जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं। लखनऊ की लेखिका कंचन सिंह चौहान जो दिव्यांग होने के बावजूद लेखन में संलग्न हैं, उन्हें दिया जा रहा हैं।
इन विषय पर होंगे सत्र - अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार में तकनीकी भूमिका.
- प्रवासी और मुख्यधारा साहित्य के मध्य मैत्री सेतु
- स्त्री अस्मिता ,अदम्य जिजीविषा का संघर्ष और महिला लेखन
- अप्रचलित विषय व विधा तथा स्त्री लेखन
- अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की स्थापना वैश्विक अपेक्षाएं और वर्तमान स्थिति
- भारतीय संस्कृति का बदलता स्वरूप और भाषायी शुचिता
- प्रवासी और मुख्यधारा साहित्य के मध्य मैत्री सेतु
- स्त्री अस्मिता ,अदम्य जिजीविषा का संघर्ष और महिला लेखन
- अप्रचलित विषय व विधा तथा स्त्री लेखन
- अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की स्थापना वैश्विक अपेक्षाएं और वर्तमान स्थिति
- भारतीय संस्कृति का बदलता स्वरूप और भाषायी शुचिता