इस मामले की जांच के लिए बनाई गई आईएएस अधिकारी और अपर आयुक्त एस. कृष्ण चैतन्य की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने गाडी में मौजूद कर्मचारियों, निलंबित उपायुक्त, अपर आयुक्त सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारियों के साथ ही इंदौर से बाहर ले जाए गए बुर्जुगों और भिखारियों के भी बयान दर्ज किए थे। सोमवार को ही बयानों को दर्ज करने का काम पूरा कर लिया गया था। इसके आधार पर ही रिपोर्ट तैयार कर मंगलवार को सौंप दी गई। रिपोर्ट में गाड़ी पर मौजूद कर्मचारियों को ही दोषी माना गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें निर्देश दिए गए थे कि भिखारियों को शिवाजी वाटिका के पास से रैन बसेरे में आदर सहित ले जाएं। लेकिन वे उन्हें शहर के बाहर ले गए। और उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया गया। इसमें गाड़ी में सवार सभी 8 मस्टर कर्मचारियों की गलती है। इसमें से दो कर्मचारियों को पहले ही नौकरी से निकाला जा चुका है, जबकि 6 और कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की अनुशंसा की गई है।
वहीं जांच रिपोर्ट में उपायुक्त प्रतापसिंह सोलंकी को भी दोषी माना गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्हें वरिष्ष्ठ अधिकारियों द्वारा निर्देश दिए गए थे कि सभी भिक्षुओं को वे रैनबसेरों में शिफ्ट करवाएं, लेकिन उन्होने इस काम की सही तरह से मानिटरिंग नहीं की। जिसके चलते कर्मचारी भिक्षुओं को रैन बसेरे में ले जाने के बजाए शहर से बाहर ले गए। जिससे निगम की बदनामी हुई। उनके खिलाफ भी विभागीय जांच की अनुशंसा जांच रिपोर्ट में की गई है।
अपर आयुक्त को माना निर्दोष
वहीं जांच रिपोर्ट में अपर आयुक्त शृंगार श्रीवास्तव की कोई गलती नहीं मानी गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि अपर आयुक्त को निगमायुक्त द्वारा दिए गए निर्देश के बाद ही उन्होने विभाग का दायित्व नहीं होने के बाद भी उपायुक्त को भिक्षुओं को रैन बसेरे में पहुंचाने के लिए कहा था। साथ ही इसके लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था भी करवाई थी। उन्होने केवल रैन बसेरे तक ही सभी को पहुंचाने के लिए आदेश दिए थे। इसलिए उनकी कोई गलती नहीं है।
इन कर्मचारियों की नौकरी जाएगी
नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि जांच रिपोर्ट में 6 ओर कर्मचारियों की गलती पाई गई है। उनके कारण निगम की छवि धूमिल हुई है। इनकी सेवाएं समाप्त की जाएगी। इनके नाम जितेंद्र तिवारी, राज परमार, अनिकेत करोने, गजानंद माहेश्वरी, राजेश चौहान, सुनील सुरागे हैं। उपायुक्त सोलंकी की काम को सही तरीके से कराने की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। उनके खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी।