कांग्रेसियों की मानें तो पार्टी के कहने पर फॉर्म उठाने वाले बागियों को शायद ही कुछ मिले, क्योंकि फॉर्म उठाने वाले नेताओं ने चुनाव में प्रत्याशी का कोई काम नहीं किया। अब सरकार में इनका भविष्य क्षेत्र में प्रत्याशी की हार-जीत से तय होगा। इसके लिए विधानसभावार हार-जीत का गणित लगाया जा रहा है। मालूम हो कि इंदौर में भी कई नेता बगावत करके निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए मैदान में उतरे थे। इनके क्षेत्र से कांग्रेस को हार ही मिली है। ऐसे में अब इनका क्या भविष्य होगा? यह कांग्रेस संगठन ही तय करेगा।
दो नंबर विधानसभा से चिंटू चौकसे दावेदारी कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने मोहन सेंगर को टिकट दिया गया। यहां से चिंटू ने निर्दलीय फॉर्म तो नहीं भरा, लेकिन इनके वार्ड से कांग्रेस अच्छे-खासे मतों से हार गई। तीन नंबर में अश्विन जोशी के सामने कोई बागी तो नहीं था, मगर काका महेश जोशी ने अपने बेटे पिंटू जोशी के लिए टिकट को लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग की पर निर्दलीय चुनाव नहीं लड़े। साथ ही अश्विन को जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चार नंबर में कोई बागी था ही नहीं। पांच नंबर में दावेदारों की लंबी फौज थी। इनमें पंकज संघवी, छोटे यादव, अरविंद बागड़ी, अमन बजाज, रघु परमार और शेख अलीम के नाम शामिल थे, लेकिन पार्टी ने सत्यनारायण पटेल को टिकट दिया। इनके सामने छोटे यादव ने निर्दलीय फॉर्म भरा था, जो कि बाद में उठा लिया। इनके वार्ड से भी कांग्रेस हार गई। राऊ, सांवेर और महू में तो कांग्रेस का कोई बागी नहीं था, लेकिन देपालपुर में विशाल पटेल के सामने जिला कार्यकारी अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल ने फॉर्म भरा और फिर नेताओं के कहने पर उठा लिया था। कांग्रेस को हरवाने में कोई कसर न छोडऩे वाले यह नेता उपकृत होने की कतार में खड़े हो गए हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए जैसे ही कांग्रेस टिकट तय करना शुरू किए, वैसे ही कई जगह कई नेताओं ने बगावत का झंडा उठा लिया। इंदौर की विधानसभा एक में पहले कांग्रेस ने प्रीति अग्निहोत्री को अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन टिकट के लिए प्रबल दावेदार संजय शुक्ला ने विरोध कर दिया। नतीजतन प्रीति का टिकट काटकर शुक्ला को दिया गया। इससे नाराज होकर प्रीति के पति गोलू अग्निहोत्री ने निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर फॉर्म भर दिया। इनके साथ ही एक नंबर के अन्य दावेदार कमलेश खंडेलवाल ने भी ऐसा ही किया। इन दोनों नेताओं को सरकार बनने पर उपकृत करने का लॉलीपॉप दिया गया, लेकिन इनके क्षेत्र से कांग्रेस हार गई। अब इनका भविष्य क्या होगा, इस सवाल का जवाब कांग्रेसी ढूंढ़ रहे हैं, क्योंकि वादे अनुसार कुछ नहीं मिला और विधायक बनने के बाद शुक्ला अलग बैरिकेड्स लगा देंगे।