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मोदी के सामने अफसरों ने किसानों के मुंह पर लगाया ताला

locationइंदौरPublished: Jun 20, 2018 01:37:17 pm

Submitted by:

amit mandloi

चार किसानों को ले गए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बात ही नहीं करने दी, कॉन्फ्रेंस के बाद पीछे के गेट से कर दिया बाहर

farmer jhabua

मोदी के सामने अफसरों ने किसानों के मुंह पर लगाया ताला

झाबुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मन की बात करने की झाबुआ के किसानों की हसरत दिल में ही रह गई। अफसरों ने उनके मुंह पर ऐसा ताला लगाया कि वे कुछ बोल ही नहीं पाए। एक महिला किसान ने बात की भी तो एक बीघा में टमाटर की इतनी उपज बता दी, जो 20 बीघा में भी संभव नहीं है। लिहाजा हंसी की पात्र बन गई। इससे अफसर भी इतने खिसियाए कि किसी को मीडिया से भी मिलने नहीं दिया। पीछे के रास्ते से सभी को बाहर कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार सुबह 9 बजे किसानों से बात करने वाले थे। इसके लिए झाबुआ कृषि विज्ञान केंद्र पर भी किसानों का जमघट लगाया गया। 40-50 किसान इकट्ठा किए गए, लेकिन अधिकतर को हॉल में टीवी के सामने बैठा दिया गया, जहां से कार्यक्रम का लाइव तो देख पाए, लेकिन प्रधानमंत्री से किसी तरह का संवाद नहीं कर सके। इनके अलावा चार चुनिंदा किसानों को सीखा-पढ़ाकर अफसर वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के लिए ले गए। अफसर जरूर ढेर सारे पहुंच गए। वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के दौरान झाबुआ के किसानों को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया, जबकि किसान फसल बीमा योजना की विसंगतियों से लेकर सिंचाई के साधन, खाद-बीज की उपलब्धता, लोन में आ रही परेशानियों के बारे में उनसे खुलकर बात करना चाहते थे। पूरे समय अफसर किसानों की पहरेदारी करते रहे। इस बीच किसान नेहा ने टमाटर की उपज पर बात की। नेहा के पास एक बीघा जमीन है, लेकिन उन्होंने उसमें इतनी उपज बता दी, जो 20 बीघा में भी संभव नहीं है। इससे उन्हें शर्मिंदगी उठाना पड़ी। सारंगी के उन्नत किसान बलराम पाटीदार को मौका ही नहीं दिया गया। जबकि बलराम कृषि के क्षेत्र में अब तक कई अवॉर्ड जीत चुके हैं और इसके पहले मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री के प्रवास पर उन्हें ही किसानों का पक्ष रखने के लिए बुलाया जाता रहा है। अफसरों ने बलराम को बोलने का मौका ही नहीं दिया। इससे वे भी बड़े खिन्न नजर आए।

farmer's of jhabua
मीडिया से छुपाकर निकाला
अफसरों ने न सिर्फ किसानों को पीएम से बात करने से रोका बल्कि कॉन्फ्रेंस के बाद मीडिया से भी बचाए रखा। कॉन्फे्रंस खत्म होते ही अफसरों ने किसानों को पीछे के गेट से चुपचाप बाहर रवाना कर दिया। उन्हें डर था कि कहीं किसान उनकी पोल न उजागर कर दे। इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के अफसरों से बात करने की कोशिश की तो कोई कुछ बोलने को ही तैयार नहीं हुआ। सभी इसे सफल कार्यक्रम बताने की चेष्टा करते नजर आए। किसानों को बोलने का मौका नहीं देने पर सभी ने चुप्पी साध ली।
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