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माता के संकल्प का असर गर्भस्थ शिशु पर

locationइंदौरPublished: Aug 12, 2018 08:50:16 pm

– महावीर बाग में चातुर्मास के दौरान आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी ने परिवार और हमारे बच्चे विषय पर किया संबोधित

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माता के संकल्प का असर गर्भस्थ शिशु पर


इन्दौर। बच्चो को संस्कार देना माता पिता का परम कर्तव्य होता है। सही मायने में बच्चों को संस्कार गर्भावस्था से ही मील प्रारम्भ हो जाना चाहिए। अभिमन्यु और शिवाजी इस बात के प्रमाण है। गर्भकाल के दौरान माता के आचार विचार ही बच्चे के विकास के साथ विकसित होते है। आज माता पिता को यह तय करना होगा कि बच्चों के पालन में इच्छा महत्वपूर्ण है या हित। बच्चा एक पौधे के समान होता है जिसको संवर्धन और सुरछा दोनो की ही आवश्यकता होती है।
रविवार को यह बात गच्छाधिपति आचार्य जिनमणि प्रभ सूरीश्वर ने महावीर बाग में अपने नियमित प्रवचन में कही। परिवार और बच्चे विषय पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार एक पौधे के विकास में सुरक्षा बाड़ जरूरी होती है। ठीक उसी प्रकार बच्चे को भी सुरक्षा की आवश्यकता होती है। सुरक्षा के साथ प्यार भी जरूरी है पर इतना भी प्यार व स्वतन्त्रता ना दे कि कोई भी कदम उठाने में उसे झिझक भी ना आए। उसके मन मे भय नही रहे इसके लिए उसके आसपास सुरक्षा की इतनी भी बाड़ ना लगाए की उसका विकास अवरुद्ध हो जाय। ऐसी स्थिति में उसमे शक्ति होने के बावजूद वह बढ़ नही पाए। रविवार को प्रवचन के बाद सिद्धपद की आराधना का पूजन किया गया। तपस्याओं के दौर में आज कमलाबाई संचेती तथा रजनी बाफना के उपवास के अठारह दिन पूरे हुए।
पतंगबाजी पाप का निमित्त – हम सभी जानते है कि पतंग को डोर अगर छोड़ दी जाय तो उसका क्या हश्र होता है। पल भर के काल्पनिक सुख ही पतंग उड़ाने से मिलता है, लेकिन इसके निमित्त भी हम पाप के भागी बनते है। कितने पंछी इसकी डोर से आहत होकर मर जाते है, इससे जीव हत्या का दोष लगता है।
खतरनाक है इंटरनेट व मोबाइल- आचार्यश्री ने कहा कि बच्चा जब छोटा होता है तो गैस लाइटर को हाथ मे लेता है तो हैं चिंतित हो जाते है। लेकिन वर्तमान में इंटरनेट मोबाइल ऐसे खतरनाक लाइटर है जो हमारे मानसिक स्तर पर बड़ी आग लगा रहा है। इस लाइटर से हमारे बच्चों को बचाना है। संसार मे बिगडऩे के निमित्त तो कदम कदम पर मौजूद है जो हमारे समय, मानस को बिगाड़ रहे है।
बच्चे राष्ट्र की धरोहर- उन्होंने कहा कि बच्चे किसी भी देश की धरोहर होते है। उनका सुदृढ़ भविष्य की राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाता है। हमे अपने बच्चों की इच्छा व हित मे अंतर समझना होगा। इच्छा एक पल की होती है और हिट जिंदगी भर के लिए होता है। एक पल की एक इच्छा के लिए अगर बालक का हित जीवन भर के लिए प्रभावित होता है तो ऐसी इच्छा पूर्ति किस काम की।
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