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इंदौर

जीये सिंधु का आयोजन,  सिंधी समाज की आठ हस्तियों को ‘सिंधु रत्न’

जीये सिंधु ग्रुप के समारोह में सतीश केसवानी को सिंधु रत्न प्रदान करते अतिथि।

इंदौरJun 10, 2018 / 09:51 pm

amit mandloi

sindhi samaj indore news

जीये सिंधु का आयोजन,  सिंधी समाज की आठ हस्तियों को ‘सिंधु रत्न’

इंदौर. जीये सिंधु ग्रुप के तत्वावधान में रविवार को सिंधी समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान व उपलब्धियों के लिए आठ हस्तियों को ‘सिंधु रत्न’ से सम्मानित किया गया।


यहां सिंधी कॉलोनी स्थित स्वामी प्रीतमदास सभाग्रह में आयोजित समारोह में किशोर कोडवानी को सामाजिक व पर्यावरण क्षेत्र, हरीश मोटवानी को शासकीय सेवा, लालचंद छाबड़ा को स्वास्थ्य सेवा, सतीश केसवानी को गायन, दीपक बाबा को समाजसेवा, हरीश फतेहचंदानी को पत्रकारिता, अनिल आगा को धर्म और नम्रता बतरा को खेल क्षेत्र में योगदान व उपलब्धि के लिए सिंधु रत्न प्रदान किया गया। अवार्ड के तौर पर सभी हस्तियों को श्रीफल, शॉल और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। संत कमल उदासी के सान्निध्य में समारोह के मुख्य अतिथि सीमा सुरक्षा बल के डीआईजी अरुण कुमार ताम्बे, विशिष्ट अतिथि भारतीय सिंधु सभा के प्रदेश अध्यक्ष शिवा कोटवानी, आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी, पत्रिका के जोनल एडिटर हरिओम पंजवाणी और समाजसेवी चंद्रकुमार माखीजा थे।
ग्रुप संयोजक प्रकाश राजदेव ने समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सेवा व योगदान के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले लोगों के कर्म को मान्यता देकर अन्य व्यक्तियों को प्रेरणा देने के उद्देश्य से ग्रुप की ओर से हर साल यह समारोह किया जाता है। समारोह का संचालन मनीष देवनानी और कमल आहूजा ने संयुक्त रूप से किया। अतिथियों का स्वागत सुभाष सुखेजा, केशव राजानी, धनेश मटाई, सजंय हबलानी, जयपाल बजाज, काजल ज्ञानचंदानी, मुस्कान वाधवानी और निर्मल नावानी ने किया। नानक राम दावानी ने आभार जताया।
संशयग्रस्त जीव को नहीं मिल सकते राम

– श्रीविद्याधाम पर चल रही रामकथा में भरत मिलाप एवं केवट प्रसंग

इंदौर। श्रद्धा और विश्वास के बिना भक्ति और साधना-उपासना सार्थक नहीं हो सकते। संशय ग्रस्त जीव को राम नहीं मिल सकते। संसार में रहते हुए मानव देह धारण करने का उ²ेश्य यही है कि हम अपने आराध्य के प्रति लगन और निष्ठा के साथ समर्पण भाव से भक्ति करें। भरत मिलाप भारत भूमि में भाईयों के बीच स्नेह और विश्वास का अत्यंत प्रेरक प्रसंग है। शबरी निष्काम भक्ति का उदाहरण है।

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