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पत्नी के लिए बोले नोबेल विजेता सत्यार्थी: दुनिया है मेरे पीछे, लेकिन मैं उनके पीछे

locationइंदौरPublished: Oct 04, 2017 08:51:22 am

डेली कॉलेज के कार्यक्रम में किसी ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी के साथ सुमेधा साए की तरह रही हैं।

kailash satyarthi
इंदौर. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले एक युवा ने देश व दुनिया का नजरिया बदलने का संकल्प लिया। यह इतना आसान नहीं था, लेकिन संकल्प की ताकत से युवा कैलाश सत्यार्थी ने जग जीत लिया। उनके इस संकल्प में हर पल साथ रहीं उनकी पत्नी सुमेधा सत्यार्थी।
८ अक्टूबर को दोनों के विवाह के ३८ साल पूरे हो जाएंगे। डेली कॉलेज के कार्यक्रम में किसी ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी के साथ सुमेधा साए की तरह रही हैं। इस पर कैलाश कहते हैं, मेरी पत्नी पर यह गाना सूट नहीं करता है। उन पर सूट करता है… दुनिया है मेरे पीछे, लेकिन मैं तेरे पीछे। ‘पत्रिका’ से खास बातचीत में सुमेधा इसका जवाब मुस्कुराकर देती हैं… हम साथ-साथ हैं। ३८ साल की इस जुझारू यात्रा पर सुमेधा कहती हैं कि प्रेम से दुनिया बदली जा सकती है। इसमें सबको जोडऩे की ताकत है। वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव, जब यह आ जाएगा तो हम फिर किसी को दुखी नहीं देख पाएंगे। उनके लिए जुटकर काम करेंगे। बस कैलाश जी ने यही किया। नोबल पुरस्कार नैतिकता का सर्वोच्च पैमाना है। इसके माध्यम से हमें एक प्लेटफॉर्म मिला। पहले वे बच्चों के हक में काम करते हुए, जो बात कहते-कहते थक गए थे, अब वही बात सुनी जा रही है। पूरी दुनिया उसे सुन रही है।
दुनिया ने कहा, भारत में एक हजार समस्याएं, मैंने कहा, समाधान एक अरब
युवाओं का आक्रोश मुझे आकर्षित करता है। युवा देश का भविष्य हैं। हम बुराइयों को दूर कर लें तो भारत सोने की चिडि़या भी बनेगा और दुनिया का विश्व गुरु भी। युवाओं का आक्रोश सडक़ों पर आना चाहिए, लेकिन वह रचनात्मक हो। भारत यात्रा के साथ इंदौर पहुंचे नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यह विचार रखे। वह देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के तक्षशिला परिसर में युवाओं से रूबरू थे।
सत्यार्थी ने कहा, जब मुझे नोबल पुरस्कार मिला तो दूसरे कई नोबल पुरस्कार विजेताओं ने कहा कि आपके देश में एक हजार समस्याएं, भ्रष्टाचार, नशाखोरी, महिलाओं के प्रति हिंसा, बलात्कार की घटनाएं हैं, लेकिन सिर्फ बच्चों के मसले को चुना और नोबल पुरस्कार जीत गए। इस पर मैंने कहा, मेरे देश में एक हजार समस्याएं हैं तो उनके एक अरब समाधान भी हैं। मैं कन्याकुमारी से विवेकानंद स्मारक की शिलाओं पर खड़े होकर देख रहा था कि तीन तरफ से महासागर की लहरें आकर भारत के चरण पखार रही हैं। यही लहरें मेरे देश के युवाओं के अंदर बह रही हैं। हमने भारत यात्रा का आगाज उस दिन किया, जिस दिन शिकागो से स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को ललकारा था।
युवाओं ने भरी हुंकार, चुप्पी तोड़ेंगे
यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने सत्यार्थी के साथ हुंकार भरी और शपथ ली। बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा, बलात्कार के खिलाफ चुप्पी तोड़ेंगे। हम किसी एक बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने की हरसंभव कोशिश करेंगे। इस आंदोलन में साथ होने का संकल्प लिया। सत्यार्थी ने कहा कि आप समूह बनाकर भारत यात्रा से जुड़ें। इसके पहले भारत यात्रा १०.३० बजे होलकर कॉलेज से शुरू हुई। स्कूल-कॉलेज के हजारों विद्यार्थी और युवाओं का दल साथ-साथ चला। यात्रा भंवरकुंआ चौराहे से टॉवर चौराहा तक यात्रा गई। वहां से लौटकर खंडवा रोड यूनिवर्सिटी के तक्षशिला परिसर पहुंची। यहां यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। हर विभाग ने सत्यार्थी का स्वागत किया।
हमने चीन की यूथ एंड थ्रो संस्कृति अपना ली
डेली कॉलेज में शाम को इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी शामिल हुए। उन्होंने कहा, हम बहुत तेजी से तकनीकी के साथ कदमताल कर रहे हैं। मैं खुद इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता था। टेक्नोलॉजी से जुड़ा रहा हूं। हाल ही में आईफोन-८ लांच हुआ, लेकिन मैं आईफोन-९ के पीछे पड़ गया। जबकि आईफोन-एक्स आ गया है। सुबह अमेरिका में पूछवाया तो पता चला कि वह नवंबर में आएगा। अगर हमें तरक्की करना है तो बचपन को बचाना होगा।

उन्होंने कहा, चीन ने हमारी बॉर्डर में जो किया है वह तो राजनीतिक मसला हो सकता है, लेकिन वह एक अलग तरह की संस्कृति हमारे नौजवानों में डाल रहा है। यूज एंड थ्रो (उपयोग करो और फेंको की संस्कृति)। पहले सस्ती पेंसिल और पेन लेकर आया। हमने सीखा उपयोग करो और फेंको। अब दिवाली पर गणेश, सरस्वती व दुर्गा सब चाइनीज लाइटें आ रही हैं। हमारे नौजवानों में स्थायित्व, एकाग्रता और निरंतरता न तो उपयोग और न ही आचरण में रह गई है।
आपके लिए यात्रा पर निकले हैं
मेरे साथ आए ये युवा ७ हजार किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचे हैं। वह जंगलों, पहाड़ों, नदियों, गांवों और शहरों में इसलिए घूम रहे हैं कि भारत को सुरक्षित बनाना है। बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा मिटाने के लिए भारत यात्रा एक महायुद्ध है। इस यात्रा से अपराधी के मन डर पैदा करना चाहते हैं। कानून बनाने वालों से कहना चाहते हैं कि बच्चों की तस्करी रोकने के लिए एक भी कानून नहीं है, जिससे अपराधियों को सजा दी जा सके।
प्रेस से चर्चा – चुप्पी तोडऩा होगी
भारत यात्रा का मकसद लोगों का नजरिया बदलना, बच्चों के साथ हो रहे दुराचार और यौन हिंसा के खिलाफ चुप्पी तोडऩा है। यौन हिंसा महामारी का रूप लेकर हर घर में दाखिल हो चुकी है। इसके खिलाफ भारत यात्रा एक महायुद्ध है। कैलाश सत्यार्थी ने पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि टै्रफिकिंग कानून लाने की जरूरत है। इसके लिए केंद्र सरकार के सामने हमने प्रस्ताव रखा है।
पाक्सो कानून का बना मजाक
एक सवाल के जवाब में सत्यार्थी बोले, पाक्सो कानून का मजाक बन रहा है। पाक्सो के तहत पिछले साल १५ हजार मामले आए, जिसमें ९० फीसदी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एेसे ही २०१५ में १६ हजार मामले आए, लेकिन ९६ फीसदी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब इतने मामले हो गए हैं कि कई राज्यों में अगर सुनवाई होगी तो ४० साल तक चलती रहेगी। इसलिए हम चाहते हैं कि हर जिले में एक अलग ट्रॉयल कोर्ट बनाई जाए, जो इन मामलों का तेजी से निपटारा कर सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी ही नहीं, बल्कि पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगना चाहिए। मैंने बैंगलूरू में आईटी के कुछ मित्रों से बात की थी, वह प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।
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