जैसा अंदेशा लगाया जा रहा था भाजपा में ठीक वैसा ही हुआ। महासचिव कैलाश विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला ने अपने समर्थक मुन्नालाल यादव को सभापति बनवा दिया। इसके साथ अपील समिति में एक बड़ा खेल किया, जिसमें प्रशांत बड़वे को बनाकर मराठीभाषियों को भी संतुष्ट करने का प्रयास किया। साथ में एक नंबर विधानसभा से जुड़ी पार्षद संध्या यादव व सोनाली धारकर को लिया गया।
दांव तो ऐसा खेला था, जिसमें सांसद शंकर लालवानी को पटखनी दे दी गई थी। एमआईसी के लिए चार नंबर विधानसभा का सबसे मजबूत नाम कंचन गिदवानी को अपील समिति में ले लिया गया था, लेकिन गिदवानी ने बनने से इनकार कर दिया तो सांसद लालवानी को भी भोपाल बात करना पड़ी। इतना सब कुछ करने के पीछे की कहानी कुछ और ही है।
इसमें सारा दिमाग विधायक रमेश मेंदोला का चल रहा है। मेंदोला चाहते हैं कि एमआईसी में दो नंबर से जुड़े पार्षदों को ज्यादा से ज्यादा लिया जाए। गिदवानी को अपील समिति में लेने से वह बाहर हो रही थीं, जिस पर वे महिला कोटे से पूजा पाटीदार को एमआईसी भेज देते। अब गिदवानी रहेंगीं तो पूजा का दांव फेल हो जाएगा। इसके अलावा एक नंबर से दो पार्षदों को ले लिया तो वे सुदर्शन गुप्ता के दो नामों निरंजन सिंह चौहान व अश्विन शुला में से एक को रोकने का प्रयास करेंगे।
तुलसी कोटे से कुरवाड़े
पूर्व में मेंदोला दो नंबर से 3 एमआईसी सदस्य बनवाकर लाए थे। इस बार भी उनका गणित है कि दो से राजेंद्र राठौर, जीतू यादव व पूजा पाटीदार को उपकृत कर दें और सुरेश कुरवाड़े की एंट्री मंत्री तुलसी सिलावट के कोटे से करवा दी जाए। 10 में से सीधे-सीधे 4 एमआईसी सदस्य तो उनके हो गए। उसके बाद विधानसभा-3 की एमआईसी सुरक्षित है ही। वहां से रूपा पांडे, मृदुल अग्रवाल व मनीष मामा में से किसी एक को ले लेते। इसके बाद बचती सिर्फ पांच नंबर की एमआईसी तो उसमें भी अन्य विधानसभाओं में ऐसे पार्षदों पर हाथ रखा जाएगा, जो कि उनसे संपर्क में हैं।
विधायकों की खिसक रही जमीन
मजेदार बात ये है कि नगर निगम पर कब्जे के दो नंबरी खेल को दूसरे विधायक समझ नहीं पा रहे हैं। वे खुद की खुद में ही उलझे हुए हैं। सभापति के खेल में उनके पैर के नीचे की जमीन खिसका दी गई। सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र के पार्षदों को बनाने के लिए लगे रहे, लेकिन दो और तीन नंबर के साथ राऊ विधानसभा के पार्षदों ने यूनिटी बनाकर यादव का नाम रखा। एकतरफा आने से यादव के नाम पर मुहर लग गई। ऐसा ही अब एमआईसी को लेकर भी होने की संभावना है। सारे विधायक आपस में उलझते रहेंगे और दो नंबरी सारी महफिल लूट ले जाएंगे।