must read : Kargil Vijay Diwas 2019 : टाइगर हिल पर तिरंगा फहराकर शहीद हुआ था ग्वालियर का ये सपूत स्वतंत्रता सेनानी आनंद मोहन माथुर ने यह बात ‘पत्रिका’ से विशेष चर्चा में कही। दरअसल शुक्रवार 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस है। देश में कारगिल युद्ध की 20वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसी दिन हिंदुस्तानी सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेडक़र टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था। युद्ध में भारत के कई जवान भी शहीद हुए थे।
must read : अब लड़े तो पाकिस्तान का नामोनिशान नहीं बचने देंगे इस शहर में बने बम और तोप युद्ध का भयानक मंजर अपनी आंखों से देखने वाले आनंद मोहन माथुर ने बताया कि हम तोपों की वजह से युद्ध जीत पाए हैं। निशित तोपों का इंचार्ज था। ये बोफोर्स तोपें थी और इनकी खासियत ये थी कि अंधेरे में इसमें से जो बारूद निकलता है उससे वो उजाला कर देती थी और उजाला होने पर अंधेरा कर देती थी, जिससे टारगेट आसानी से दिखाई देता था। इस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ था। अंधेरे में उजाला होने के कारण ही टारगेट नजर आया और हमने कारगिल युद्ध जीत लिया।
ऐसे हमारे देश में घुसे दुश्मन इन तोपों की रेंज पांच किलोमीटर की थी। मैंने देखा कि श्रीनगर में जितने भी टूरिस्ट आए थे वे सभी एक-एक करके कार से रवाना हो रहे थे। इनकी संख्या करीब एक लाख थी और दूसरे दिन सभी चले गए। लोगों में किसी भी तरह का डर नहीं था। बाद में यह भी मालूम हुआ कि वो लोग इसलिए अंदर घुस गए क्योंकि चौकियों पर बेहतर तरीके से निगरानी नहीं रखी गई थी। दरअसल स्लोप के ऊपर चौकियां होती है और चौकियों पर एक गार्ड चैंज होता है तो वहां काफी निगरानी रखी जाती थी। एक गार्ड की जगह दूसरा गार्ड आता है और उसी दौरान कहीं चूक होने के चलते विरोधी घुस गए थे, जिसके कारण 20 साल पहले यह लड़ाई छिड़ी।
स्थानीय लोगों ने नहीं किया विरोध आनंद मोहन माथुर ने कहा कि कारगिल की लड़ाई में जो वहां की लोकल पॉपुलेशन थी, उसका कोई विरोध नहीं था। वे बिल्कुल भी इंडियन आर्मी के विरोध में नजर नहीं आए। सभी शांत थे। उन्होंने इंडियन फोर्स का विरोध नहीं किया। समाजसेवी मदन परमालिया ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी आनंद मोहन माथुर अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन नई दिल्ली प्रदेश इकाई के मप्र के अध्यक्ष है। ेे