must read : इस भारतीय जवान के पराक्रम को पाकिस्तानी सेना ने भी किया सलाम, नाम दिया था ‘शेरशाह’ मैंने आतंकियों पर गोलियां बरसाना जारी रखा, क्योंकि सोचने-समझने का तो वक्त ही नहीं था। कुछ ही देर में में मैं बेहोश हो गया। जब आंख खुली तो श्रीनगर अस्पताल में था। डॉक्टर ने बताया, आपको युद्ध में 4 गोलियां लगी थी। दो उसी वक्त शरीर के बाहर निकल गई हैं और 2 किडनी में फंसी हैं, जिन्हें निकालना अभी संभव नहीं है। सेवानिवृत्त सूबेदार भारत सिंह रघुवंशी से जब पत्रिका ने करगिल दिवस पर बात की तो उन्होंने रोंगटे खड़े करने वाले इन दृश्यों से साक्षात्कार कराया।
या तो तिरंगा फहराएंगे या उसमें लिपटकर आएंगे उन्होंने कहा कि उस वक्त जोश और जुनून ऐसा रहता है कि आप यह भी नहीं देखते कि आपको हुआ क्या है। हर सैनिक बस दो ही बातें दिल में लेकर जाता है, या तो तिरंगा फहराएगा या तिरंगे में लिपटकर वापस आएगा। भारत सिंह बताते हैं कि किडनी में फंसी गोलियों को इंजेक्शन और दवाइयों की मदद से सेफ मोड में लाया गया है। उनकी वजह से अब किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। वे कहते हैं यह गोलियां तो करगिल में जीत का मेडल हैं, जिनसे उन्हें सबसे ज्यादा प्यार है।
must read : दुश्मन की नाक के नीचे से हम ‘बैट्री’ ले गए और उनके छक्के छुड़ा दिए पूरी दुनिया ने देखी भारत की ताकत भारत सिंह ने बताया, करगिल युद्ध में जीत के बाद पूरी दुनिया ने भारत की ताकत देखी। सबसे बड़ी बात यह है कि पूरा देश एक सूत्र में पिरो सा गया। हर जगह करगिल की बात हो रही थी। भारत आज एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी मैनेजर हैं। वे बताते हैं कि सैनिक के रूप में जो गर्व मिलता है, वह पूरे परिवार के लिए सम्मान की बात होती है।
must read : इस शख्स ने देखा है युद्ध का वो भयानक मंजर, बोले- उस दिन आकाश में थे बहुत हवाई जहाज भारत अपने परिवार से पहले व्यक्ति हैं जो सेना में गए। उन्होंने कहा, हमें दूसरे कॅरियर विकल्पों की तरह सेना में जाने के लिए भी युवाओं को प्रेरित करना चाहिए। कुछ साल सेना में सेवाएं देने के बाद भी आपके पास कॅरियर के कई बेहतर विकल्प होते हैं। जो साल आप सेना में देते हैं वह आपका पूरा जीवन बदल देते हैं।