बाईं करवट सोना गर्भावस्था मे दाईं हाथ की तरफ सोना पीठ के बल सोने से ज्यादा सही है। लेकिन यह उतना सुरक्षित नहीं है जितना की बाईं तरफ सोना है। दाहिने हाथ पर सोने से जिगर पर दबाव पड़ सकता है। आपको बाईं तरफ सोने से दबाव महसूस हो तो थोड़े समय के लिए दाईं करवट ले सकते हैं। कोशिश करें एक ही मुद्रा में अधिक न सोएं।
रक्त का सही प्रवाह बाईं करवट लेकर सोने से गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के शरीर में रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है, जिससे गर्भस्थ शिशु को भरपूर ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। इससे गर्भवती के शरीर के अंदरुनी अंगों में कम से कम दबाव पड़ता है। बाईं करवट सोने से शिशु को चोट लगने की आशंका कम होती है।
तरल पदार्थ कम यूं तो दिन की शुरुआत में ही गर्भवती महिला को पानी या फलों का रस लेना चाहिए। दिनभर में नियमित अंतराल में तरल पदार्थ लेते रहना चाहिए। गर्भवती रात के समय तरल पदार्थों का सेवन कम करें। सोने से पहले अगर तरल पदार्थों का सेवन किया जाता है तो इससे रात में बार-बार पेशाब आता है और नींद टूटती है। गर्भावस्था के दौरान रात में बेहतर नींद के लिए सोने से पहले खुद को रिलेक्स करना सही रहता है। ऐसे में रात को सोने से पहले एक कप गर्म दूध लिया जा सकता है। अपनी पसंदीदा कोई अच्छी किताब पढ़ें। सोने से पहले गर्भवती अपने मूड को बेहतर बनाने की कोशिश करें ताकि वे सुकून की नींद सो सकें।
पहले तीन महीने गभवर्ती महिला को सोने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में गर्भवती पीठ के बल सो सकती हंै। दूसरी तिमाही में गर्भवती को पीठ के बल सोने से बचना चाहिए । तीसरे तिमाही मे पीठ के बल सोने पर गर्भाशय का पूरा भार पीठ जो शरीर के निचले हिस्से से रक्त को हृदय तक पहुंचाती है उस पर पड़ता है जिससे बहुत सी परेशानिया हो सकती है जैसे की पीठ दर्द, बवासीर, अपच, सांस में तकलीफ और रक्त परिसंचरण में कठिनाई। गर्भवती महिला के शरीर में रक्त वाहिकाओं में रक्त का प्रवाह कम होने पर बच्चे के शरीर के महत्वपूर्ण अंगो में रक्त का प्रवाह कम होने लगता है। इससे मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।