1. बच्चा ही रहने दें
बच्चों के मामले में अपनी यह सोच बनाए रखें कि वह बच्चा है, उससे बड़ों की सी उम्मीद न पालें। बच्चा जब बच्चे की तरह बर्ताव करता है तो खुशियां फैलाता है। उसकी बाल-सुलभ आदतें घर-परिवार के माहौल को खुशनुमा बनाती हंै। उसे खेलने दें, खिलने दें और उस पर इस तरह का अंकुश तो कतई न लगाएं कि उसका विकास बाधित हो।
बच्चों के मामले में अपनी यह सोच बनाए रखें कि वह बच्चा है, उससे बड़ों की सी उम्मीद न पालें। बच्चा जब बच्चे की तरह बर्ताव करता है तो खुशियां फैलाता है। उसकी बाल-सुलभ आदतें घर-परिवार के माहौल को खुशनुमा बनाती हंै। उसे खेलने दें, खिलने दें और उस पर इस तरह का अंकुश तो कतई न लगाएं कि उसका विकास बाधित हो।
2. उसे बनने दें, बढऩे दें
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश न करें। जरूरी नहीं कि आपका बच्चा भी वही बने या करे, जो आपने किया हो या आप उससे कराना चाह रहे हैं। बच्चे को अपने शौक और दिलचस्पी के हिसाब से आगे बढऩे दें। उन्हें गाइड करें बजाय उन पर अपनी अपेक्षाएं और इच्छाएं थोपने के।
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश न करें। जरूरी नहीं कि आपका बच्चा भी वही बने या करे, जो आपने किया हो या आप उससे कराना चाह रहे हैं। बच्चे को अपने शौक और दिलचस्पी के हिसाब से आगे बढऩे दें। उन्हें गाइड करें बजाय उन पर अपनी अपेक्षाएं और इच्छाएं थोपने के।
3. बच्चों को समय दें
आजकल की व्यस्त दिनचर्या के कारण पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए भी पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते। पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने से व्यस्तताएं और बढ़ जाती है। पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि वे अपने व्यस्त समय में से अपने बच्चों के लिए पर्याप्त समय जरूर निकालें। उन्हें समय दें और उनके साथ जुड़ाव बनाए रखें बजाय उन्हें अपने हाल पर छोडऩे के।
आजकल की व्यस्त दिनचर्या के कारण पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए भी पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते। पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने से व्यस्तताएं और बढ़ जाती है। पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि वे अपने व्यस्त समय में से अपने बच्चों के लिए पर्याप्त समय जरूर निकालें। उन्हें समय दें और उनके साथ जुड़ाव बनाए रखें बजाय उन्हें अपने हाल पर छोडऩे के।
4. उन्हें सुनिए भी
कई घरों में बच्चों की सुनी नहीं जाती है। उन्हें सिर्फ आदेश दिया जाता है। बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए यह बेहद जरूरी है कि बच्चों की बात और उनके मन को अच्छी तरह समझा जाए। तसल्ली से उनकी बात सुनी ही नहीं जाए, बल्कि उनकी बात को महत्त्व भी दिया जाए।
कई घरों में बच्चों की सुनी नहीं जाती है। उन्हें सिर्फ आदेश दिया जाता है। बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए यह बेहद जरूरी है कि बच्चों की बात और उनके मन को अच्छी तरह समझा जाए। तसल्ली से उनकी बात सुनी ही नहीं जाए, बल्कि उनकी बात को महत्त्व भी दिया जाए।
5. सच्चा प्यार करें
कई लोग समझते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करने का मतलब है, उनकी हर मांग पूरी करना और उनको सिर चढ़ाना। अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो उसे वही दें, जो जरूरी है। जब आप किसी से सचमुच प्यार करते हैं तो उसका दुलारा होने की चिंताकिए बिना आप वही करते हैं जो उसके लिए उचित हो। बच्चे को मन से प्यार करें और उसे लगे भी आप उसे कितना चाहते हैं।
कई लोग समझते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करने का मतलब है, उनकी हर मांग पूरी करना और उनको सिर चढ़ाना। अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो उसे वही दें, जो जरूरी है। जब आप किसी से सचमुच प्यार करते हैं तो उसका दुलारा होने की चिंताकिए बिना आप वही करते हैं जो उसके लिए उचित हो। बच्चे को मन से प्यार करें और उसे लगे भी आप उसे कितना चाहते हैं।
6. खुशनुमा माहौल दें
अगर आप डरे-सहमे और चिंतित दिखाई देंगे तो आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आपके बच्चे खुश हो कर जीएंगे। अगर घर का माहौल निराशा वाला और भय पैदा करने वाला होगा तो जाहिर सी बात है कि बच्चे के स्वभाव और विकास पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।
अगर आप डरे-सहमे और चिंतित दिखाई देंगे तो आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आपके बच्चे खुश हो कर जीएंगे। अगर घर का माहौल निराशा वाला और भय पैदा करने वाला होगा तो जाहिर सी बात है कि बच्चे के स्वभाव और विकास पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।
7.बच्चों के आदर्श बनें
अगर माता-पिता अपने बच्चों से अपेक्षाओं में तो आगे रहते हैं और खुद में कई तरह की कमियां रखते हैं तो इसका बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है। पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए आदर्श बनें। खासतौर पर वे बातें जिनकी उम्मीद वे अपने बच्चों से करते हैं, उसको खुद की जिंदगी में जरूर अपनाएं। वे आपको देखें और सीखें।
अगर माता-पिता अपने बच्चों से अपेक्षाओं में तो आगे रहते हैं और खुद में कई तरह की कमियां रखते हैं तो इसका बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है। पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए आदर्श बनें। खासतौर पर वे बातें जिनकी उम्मीद वे अपने बच्चों से करते हैं, उसको खुद की जिंदगी में जरूर अपनाएं। वे आपको देखें और सीखें।
8. काम में साथ रखें
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों में जहां काम करने की आदत डालें, वहीं उनमें सामाजिक होने का गुण भी विकसित करें। घर के छोटे-मोटे काम की जिम्मेदारी उन पर डालें। ताकि वे सहयोग करना और फैसला लेना सीखें। इसी प्रकार उन्हें बाहर खेलने भेजें। दोस्तों और रिश्तेदारों में ले जाएं ताकि वह सामाजिक बने।
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों में जहां काम करने की आदत डालें, वहीं उनमें सामाजिक होने का गुण भी विकसित करें। घर के छोटे-मोटे काम की जिम्मेदारी उन पर डालें। ताकि वे सहयोग करना और फैसला लेना सीखें। इसी प्रकार उन्हें बाहर खेलने भेजें। दोस्तों और रिश्तेदारों में ले जाएं ताकि वह सामाजिक बने।